महागामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने संताल परगना की पहली महिला मंत्री बनने का गौरव हासिल किया है. सोमवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कैबिनेट में विस्तार के दौरान उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. यह ऐतिहासिक उपलब्धि दीपिका पांडेय सिंह की मेहनत और समर्पण का परिणाम है.
राजनीतिक सफर की शुरुआत
दीपिका पांडेय सिंह ने 2019 में महागामा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता अशोक भगत को 12,000 से अधिक वोटों से हराकर पहली बार विधायक बनीं. उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गोड्डा सीट से टिकट प्राप्त किया था, लेकिन बाद में कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलकर पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव को वहां से लड़ाया. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में महागामा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी को लीड दिलाने पर दीपिका पांडेय सिंह को मंत्री पद का तोहफा दिया गया.
विरासत में मिली राजनीति
दीपिका पांडेय सिंह का जन्म झारखंड के रांची में एक राजनीतिक परिवार में हुआ था. उनकी मां, प्रतिभा पांडे, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की महिला शाखा की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं. दीपिका की शिक्षा दीक्षा रांची से हुई। उन्होंने 1994-97 में सेंट जेवियर्स कॉलेज से जीव विज्ञान में बीएससी की डिग्री प्राप्त की. इसके बाद, 1998-2000 में रांची के जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस से सूचना प्रौद्योगिकी में एमबीए की पढ़ाई की. बाद में 2008-2011 तक कोपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से एलएलबी की पढ़ाई की.
निजी जीवन और विवाह
दीपिका का विवाह रत्नेश कुमार सिंह से हुआ है, जो बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री और महागामा से चार बार के विधायक अवध बिहारी सिंह के पुत्र हैं. दीपिका के ससुर अवध बिहारी सिंह भी एकीकृत बिहार में मंत्री रह चुके हैं.
राजनीतिक यात्रा
दीपिका पांडेय सिंह ने अपनी राजनीतिक यात्रा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा शाखा, युवा कांग्रेस से झारखंड युवा कांग्रेस की महासचिव के रूप में शुरू की. बाद में उन्हें युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव के रूप में राष्ट्रीय समिति में पदोन्नत किया गया. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें गोड्डा जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. क्षेत्र में जन मुद्दों को लेकर दीपिका का आक्रामक तेवर रहा है. 2018 में वह महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव बनीं.
जन मुद्दों पर आक्रामकता
दीपिका पांडेय सिंह ने जन मुद्दों पर हमेशा आक्रामक और सक्रिय रुख अपनाया है. वर्ष 2016 में ईसीएल की ललमटिया कोयला परियोजना में खान हादसे में 23 मजदूरों की मौत हो गई थी. इस हादसे में दीपिका पांडेय सिंह ने पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने के लिए अनिश्चितकालीन अनशन किया था. इस अभियान में उन्हें भारी समर्थन मिला और सरकार को अंततः पीड़ितों को मुआवजा देना पड़ा। 2017 में उन्होंने शराबबंदी का मुद्दा उठाया और बताया कि शराब किस तरह से महिलाओं पर सीधा असर डालती है. उन्होंने शराबबंदी के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाया और क्षेत्र में महिला राजनीति के केंद्र में खुद को स्थापित किया.
पर्यवेक्षक की भूमिका
दीपिका पांडेय सिंह ने हाल के वर्षों में कई राज्यों के चुनाव में पर्यवेक्षक की भूमिका भी निभाई. उन्होंने कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पार्टी की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाया. दीपिका के नेतृत्व में कांग्रेस ने गोड्डा क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत की और जन समर्थन प्राप्त किया.
नई भूमिका और जिम्मेदारियाँ
महागामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह के मंत्री बनने के साथ ही उन्हें नई जिम्मेदारियाँ सौंपने का समय आ गया है. उनके मंत्री बनने से झारखंड की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और वे अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उनके मंत्री बनने से झारखंड में महिला सशक्तिकरण को भी नया आयाम मिलेगा.दीपिका पांडेय सिंह की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह झारखंड के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. उनकी नेतृत्व क्षमता, संघर्षशीलता और समर्पण ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है. उनके इस नये सफर की शुरुआत झारखंड के विकास और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी.