रांची के हटिया क्षेत्र के नायम मोहल्ले में रहने वाले महाबीर नायक को इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. 81 वर्षीय महाबीर नायक झारखंड के इकलौते व्यक्ति हैं, जिन्हें इस बार यह सम्मान मिला है. वे पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी जैसे प्रतिष्ठित कलाकारों के गुरु हैं. महाबीर नायक झारखंड के लोक और शिष्ट संगीत में अपनी अद्भुत महारत के लिए जाने जाते हैं. उन्हें झारखंड के राग-रागिनियों और पारंपरिक संगीत को जीवंत रखने के लिए ‘अधरतिया भिनसरिया सम्राट’ की उपाधि भी मिली है.
संगीत की दुनिया में 70 साल से अधिक का सफर
महाबीर नायक के संगीत का सफर बचपन से ही शुरू हुआ. उनके पिता खुदु नायक और दादा आनंद नायक भी संगीत से जुड़े हुए थे. वे नागपुरी के प्रसिद्ध कवि घासी राम की रचनाओं को गाते थे. महाबीर ने अपने पिता और दादा से प्रेरणा लेकर कठिन से कठिन रागों को गाना सीखा. उनका कहना है कि जब तक सुर परफेक्ट न लगे, उन्हें चैन नहीं आता. संगीत के प्रति उनकी इसी लगन ने उन्हें 70 साल से भी अधिक समय तक लोक और शिष्ट संगीत की दुनिया में बनाए रखा.
स्टेज पर नागपुरी गानों की शुरुआत
महाबीर नायक ने 50 साल पहले पहली बार स्टेज पर नागपुरी गानों की प्रस्तुति शुरू की. इससे पहले अखरा में ही कार्यक्रम हुआ करते थे. उन्होंने झारखंड के पुराने कवियों जैसे घासी राम, लक्ष्मीनी, सरयू राम पाठक, जय गोविंद मिश्र, और हनुमान सिंह की रचनाओं को संकलित किया और उन्हें लोगों तक पहुंचाया. महाबीर अब तक 2000 से ज्यादा गीत गा चुके हैं और 400 शिष्ट नागपुरी गीतों की रचना कर चुके हैं. उन्होंने पुराने कवियों और गीतकारों के 5000 से ज्यादा गीतों का संकलन भी किया है.
फगुआ गीतों की विशेष पहचान
महाबीर नायक के फगुआ गीतों की देशभर में विशेष मांग है. उन्होंने झारखंड के गीतों को देश के विभिन्न शहरों के साथ-साथ ताइपे तक प्रस्तुत किया है. लोक और शिष्ट दोनों ही प्रकार के संगीत में उनकी गहरी पकड़ है.
उपलब्धियां और संघर्ष
महाबीर नायक को दो साल पहले संगीत नाटक अकादमी की ओर से अमृत अवार्ड से सम्मानित किया गया था. उन्होंने एचईसी में भी काम किया, लेकिन उनका कहना है कि सरकार झारखंड के कलाकारों पर ध्यान नहीं देती. न ही उन्हें किसी प्रकार का मानदेय मिलता है. सात दशकों तक संगीत को समर्पित करने के बाद भी महाबीर नायक एसबेस्टस के घर में रहते हैं. उनके बच्चों ने संगीत को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई. उनका कहना है, “पूरी जिंदगी गाने में खपा दी, लेकिन इसके बदले क्या मिला?”
पद्मश्री सम्मान से नई ऊर्जा
पद्मश्री सम्मान की घोषणा के बाद महाबीर नायक ने कहा, “इससे मेरा जोश और बढ़ गया है. अब मेरा मकसद झारखंड के राग-रागिनियों को दुनिया तक पहुंचाना है”.