रांची: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं ने फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत पर आपत्ति दर्ज कराते हुए राष्ट्रपति को पत्र भेजा है। विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा भेजे गए पत्र में फादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में मौत को अत्यंत दुखद बताते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। पत्र में लिखा गया है कि 84 वर्षीय जेसुइट पादरी और आदिवासी अधिकारों की आवाज बुलंद करने वाले फादर स्टेन स्वामी को पिछले साल अक्टूबर में भीमा कोरेगांव मामले का आरोपी बताते हुए कठोर यूएपीए कानून के तहत हिरासत में लिया गया था। पार्किन्सन समेत अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे फादर स्टेन स्वामी को इलाज देने से इन्कार किया गया था।
तरल लेने के लिए उन्हें सिपर मुहैया कराने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना पड़ा। कोरोना संक्रमितों से भरे तलोजा जेल से उन्हें हटाने के लिए व्यापक तौर पर अपील की गई। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। उनकी जमानत याचिका भी खारिज कर दी गई। हालांकि बाद में बम्बई उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कोरोना संक्रमित होने के बाद उनकी स्थिति बिगड़ती चली गई।
नेताओं द्वारा मांग की गई है कि उनके खिलाफ लगाए गए फर्जी आरोपों को मद्देनजर रखते हुए राष्ट्रपति तत्काल हस्तक्षेप करें और गलत मुकदमे करने वालों को चिन्हित किया जाए। साथ ही भीमा कोरेगांव मामला समेत वैसे तमाम मामलों में हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा किया जाए, जिन पर राजनीतिक हित साधने के उद्देश्य से कठोर कानूनों के तहत मुकदमे किए गए हैं।
बता दे कि हेमंत सोरेन के अलावा पत्र भेजने वालों में सोनिया गांधी (कांग्रेस), शरद पवार (एनसीपी), ममता बनर्जी (टीएमसी), एमके स्टालिन (डीएमके), एचडी देवगौड़ा (जेडीएस), फारुख अब्दुल्ला (जेकेपीए), तेजस्वी यादव (आरजेडी), डी राजा (सीपीआइ) और सीताराम येचुरी (सीपीआइ एम) शामिल हैं।