हजारीबाग के वीर सपूत कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी को नम आंखों से अंतिम विदाई

जम्मू-कश्मीर के अखनूर में पेट्रोलिंग के दौरान आतंकियों द्वारा किए गए आइईडी ब्लास्ट में शहीद हुए हजारीबाग निवासी कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का पार्थिव शरीर बुधवार शाम बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंचा। एयरपोर्ट परिसर में श्रद्धांजलि स्थल पर जब उनकी मां नीलू बक्शी पहुंचीं, तो उन्होंने भरी हुई आवाज में जयकारा लगाया – “बोले सो निहाल… सत श्री अकाल…”। पूरा परिसर ‘शहीद करमजीत सिंह अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से गूंज उठा।

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शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि देने के लिए राज्यपाल संतोष गंगवार, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। राज्यपाल ने कहा, “हमें अपने वीर शहीद पर गर्व है। हम उनके परिवार के साथ खड़े हैं और उनकी हर संभव मदद करेंगे।” वित्त मंत्री ने भी शहीद के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि सरकार शहीद के परिवार के साथ है और उनकी कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी।

मां की आंखों में बेटे की शहादत का गर्व
कैप्टन करमजीत की मां नीलू बक्शी ने अपने इकलौते बेटे को खोने के बावजूद गर्व से कहा, “मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है, इससे बड़ी कोई शहादत नहीं हो सकती।” वहीं, उनके पिता सरदार अजिंदर सिंह बक्शी ने नम आंखों से कहा, “हमें गर्व है कि हमारा बेटा मातृभूमि की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।”

कैसे शहीद हुए थे कैप्टन करमजीत सिंह?
कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में तैनात थे और जम्मू-कश्मीर के अखनूर में देश की सुरक्षा कर रहे थे। 11 फरवरी की रात आतंकवादियों द्वारा बिछाए गए आइईडी ब्लास्ट में वे शहीद हो गए। इस हमले में एक अन्य जवान भी शहीद हुआ, जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया।

आज होगा अंतिम संस्कार
शहीद कैप्टन करमजीत सिंह का अंतिम संस्कार आज उनके पैतृक गांव हजारीबाग के खिरगांव में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। सेना के जवान, प्रशासनिक अधिकारी और हजारों की संख्या में आम लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए मौजूद रहेंगे।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनकी शहादत पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, “मरांग गुरु से प्रार्थना करता हूं कि शहीद  की आत्मा को शांति मिले और परिवार को इस कठिन घड़ी में सहनशक्ति मिले। शहीद कैप्टन करमजीत सिंह बक्शी का बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा और वे देशवासियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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