झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को कोल्हान क्षेत्र में एक और बड़ा झटका लगा है. पार्टी के केंद्रीय सदस्य पप्पू वर्मा ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है, जिससे झामुमो और ईचागढ़ विधानसभा की विधायक सविता महतो के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं. पप्पू वर्मा ने विधायक सविता महतो पर अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी में उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, जिस कारण उन्होंने पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया.
पार्टी में 26 साल की सेवा के बाद इस्तीफा
पप्पू वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उन्होंने 26 साल तक झामुमो की सेवा की और ईचागढ़ विधानसभा क्षेत्र में पार्टी को मजबूत करने का काम किया. वे दिवंगत नेता सुधीर महतो के साथ लंबे समय तक जुड़े रहे और उनकी मृत्यु के बाद पार्टी में प्रमुख भूमिका निभाते रहे. पप्पू वर्मा का कहना है कि वे ईचागढ़ क्षेत्र में संगठन को बिखरने नहीं दिया और विधायक सविता महतो को 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि, उनका आरोप है कि पार्टी में अब उनकी बात नहीं सुनी जा रही है और पुराने कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. वर्मा का यह भी कहना है कि विधायक बनने के बाद सविता महतो ने पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया है, जिससे पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है.
चंपाई सोरेन के करीबी माने जाते हैं पप्पू वर्मा
पप्पू वर्मा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता चंपाई सोरेन के करीबी माने जाते हैं. चंपाई सोरेन के पार्टी छोड़ने के बाद से झामुमो में असंतोष की लहर दौड़ गई है और कई नेता और कार्यकर्ता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. पप्पू वर्मा के इस्तीफे के बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे 4 अक्टूबर को चांडिल में बीजेपी के एक कार्यक्रम में शामिल होकर औपचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दामन थाम सकते हैं.
विधायक सविता महतो को बड़ा झटका
पप्पू वर्मा का इस्तीफा ईचागढ़ की विधायक सविता महतो के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. वर्मा झामुमो के कद्दावर नेता माने जाते थे और सविता महतो का चुनावी अभियान उन्हीं की मदद से सफल हुआ था. इसके अलावा, चांडिल बाजार में स्थित पप्पू वर्मा का कार्यालय सविता महतो के राजनीतिक कार्यों का भी एक प्रमुख केंद्र रहा है. इससे पहले भी झामुमो के पूर्व जिला सचिव और चांडिल के निवासी सुखराम हेम्ब्रम ने विधायक सविता महतो के रवैये से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी थी. उन्होंने एक नया संगठन बनाकर आगामी चुनाव में हिस्सा लेने की योजना बनाई है. अब पप्पू वर्मा के इस्तीफे से सविता महतो के पास चांडिल क्षेत्र में कोई बड़ा नेता या समर्थक नहीं बचा है, जिससे आगामी विधानसभा चुनाव में उन्हें मुश्किलें झेलनी पड़ सकती हैं.
झामुमो में भगदड़ क्यों मच रही है?
ईचागढ़ के विधायक सविता महतो पर आरोप है कि वे विधायक बनने के बाद पार्टी के पुराने नेताओं और कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज कर रही हैं. पप्पू वर्मा और अन्य नेताओं का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में सविता महतो ने पार्टी में न तो नए कार्यकर्ताओं को जोड़ा और न ही पुराने कार्यकर्ताओं को पार्टी में बनाए रखने के लिए कोई ठोस कदम उठाया. पार्टी के भीतर नेताओं और कार्यकर्ताओं का असंतोष इस कदर बढ़ गया है कि कई कद्दावर नेता और कार्यकर्ता झामुमो से अलग होकर नए राजनीतिक विकल्प तलाश रहे हैं.