कोडरमा के घटोरिया जंगल में बीते 21 जनवरी को माइका चाल धंसने से, चंदर दास, महेन्द्र दास एवं कौशल्या देवी की मृत्यु हो गयी थी| इनकी कमाई से ही इनके घर का भरण-पोषण होता, घर में चूल्हा इनके भरोसे ही जलता था|
हादसे में हुई महेन्द्र दास और कौशल्या देवी की मौत के बाद उनके बच्चों का जीवन अंधकारमय हो गया है| लेकिन अब इन बच्चों की जिंदगी में उम्मीद की किरण लेकर आये हैं कोडरमा के उपायुक्त रमेश घोलप| रमेश ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए दोनों अनाथ बच्चों के बेहतर भविष्य की जिम्मेदारी उठाई है|
उपायुक्त ने दोनों बच्चों का आवासीय विद्यालय में दाखिला करवाया है| जिसके बाद दोनों बच्चों को मुफ्त शिक्षा मिलेगी| रमेश घोलप ने अभिभावक बन कर स्वर्गीय महेंद्र दास की 15 वर्षीया पुत्री ममता कुमारी का कस्तूरबा बालिका आवासीय विद्यालय व स्व. विनोद मुर्म के पुत्र राहुल मुर्मू का समग्र आवासीय विद्यालय में नामांकन करवाया| अभिभावक के रूप में रमेश घोलप ने हस्ताक्षर किया|
इन बच्चों को नि:शुल्क ड्रेस, किताब, कॉपी तथा अन्य दैनिक उपयोग की सामग्री के साथ समुचित सुविधा दी जाएगी| इस बारे में बात करते हुए उपायुक्त ने कहा कि मेरी संवेदना उन सभी परिवारों के साथ है| लेकिन आज एक अनाथ बेटे और पिता का साया खोयी एक बेटी की शिक्षा के लिए उनका विद्यालय में नामांकन कराकर संतुष्टि महसूस हो रही है|
इसके अलावा मृतकों के परिवार के लिए सारी प्रक्रिया पूरी कराते हुए लिए राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ की स्वीकृति दी गई| इसके तहत प्रत्येक परिवार को डीबीटी के माध्यम से बीस हजार की राशि उनके खाते में दी जाएगी| जिला प्रशासन की ओर से मृतकों के परिवार की विधवा महिलाओं को विधवा पेंशन की स्वीकृति भी दी गई है| जिसमें सुनीता देवी, सरस्वती देवी और धनवा देवी को विधवा पेंशन का लाभ दिया गया|
दोनों बच्चों को प्रतिमाह मिलेंगे 2 हजार रूपये
जिला उपायुक्त के पहल पर समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत परिवार के दो बच्चों को (एक बालिका एवं एक बालक) वित्तीय सहायता के रूप में प्रतिमाह दो हजार मिलेगा|
इस योजना के तहत मिलनेवाली राशि को 3 साल के उपरांत बच्चों की उम्र 18 साल होने पर बढाया जा सकेगा| आयुष्मान भारत योजना के तहत जिन बच्चों का गोल्डेन कार्ड नहीं बना था, तत्काल उनका गोल्डेन कार्ड बनाया गया|
उपायुक्त ने बच्चों के अभिभावकों से ये अपील करते हुए कहा कि इन बच्चों का भविष्य संवारने में साथ दें| बच्चे जहां तक पढ़ना चाहे, उन्हें पढ़ने दें ताकि ये बच्चे अपने आने वाले समय को बेहतर बना सकें तथा अपना उज्जवल भविष्य संवार सकें|