केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक के पद पर सुबोध कुमार जायसवाल के नियुक्ति के बाद झारखंड के लोगों में खुशी की लहर है। बताते चलें कि सुबोध कुमार जायसवाल का जन्म 22 सितंबर 1962 को झारखंड के धनबाद में हुआ और इनकी आरंभिक पढ़ाई भी यहीं हुई है। महज 23 वर्ष की आयु में भारतीय पुलिस सेवा में नियुक्त हुए और महाराष्ट्र के अमरावती से बतौर एएसपी अपने करियर की शुरुआत की।
2006 मालेगांव विस्फोट की जांच करने वाली आतंक निरोधी दस्ता(एटीएस) में भी वे अपनी सेवा दे चुके हैं। माननीय प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार, स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी), इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग(रॉ) में भी उन्होंने अपने उत्तम कार्य की मिसाल पेश की है। सीबीआई निदेशक बनने के पूर्व वे महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे।
इसी क्रम में झारखंड के राकेश अस्थाना भी बड़े नाम हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में शीर्ष पदों पर रह कर देश की सेवा की है। इनकी शिक्षा-दीक्षा झारखंड के प्रतिष्ठित नेतरहाट विद्यालय से संपूर्ण हुई। फिलहाल देश के सरहद की सुरक्षा करने वाली सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में महानिदेशक और नारकोटिस्क कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) में भी महानिदेशक के अतिरिक्त प्रभार के साथ काम कर रहे हैं। 1984 बैच के गुजरात कैडर के आइपीएस अधिकारी के रूप में उन्होंने अपना कार्यभार संभाला था।
1997 में चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को गिरफ्तार करने पर उन्होंने काफ़ी सुर्खियां बटोरीं। तब झारखंड एकीकृत बिहार का हिस्सा हुआ करता था। वे तब सीबीआई के एसपी के पद पर कार्यरत थे। उनके नेतृत्व में ही 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी और उसके बाद भड़के दंगो की जांच चली। 9000 करोड़ रुपये की मनी लौंड्रिंग के आरोपी विजय माल्या के केस की जांच के लिए बनी सीबीआइ की विशेष जांच दल का नेतृत्व भी उन्होंने ही किया था।
आपदा प्रबंधन में भी झारखंड में जन्मे अधिकारियों ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। झारखंड कैडर के 1988 बैच के आइपीएस अधिकारी सत्यनारायण प्रधान अभी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ) में महानिदेशक के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने 22 जनवरी 2019 को एनडीआरएफ की कमान संभाली थी। कोरोना काल में आए तूफान अम्फन से निबटने की तैयारी और बचाव कार्य के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन के लिए इनकी विश्वभर में प्रशंसा हुई। हाल ही में आए तौकते और यास तूफान में इनका कार्य उल्लेखनीय है। वो एकीकृत बिहार में कई जिलों के पुलिस अधीक्षक भी रहे हैं। हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी में भी उन्होंने सेवाएं दी और छह बैच को प्रशिक्षित किया।
झारखंड से जुड़े और भी कई आईपीएस अधिकारी देश में अपनी महत्वपूर्ण सेवा दे रहे हैं। 1989 बैच के अजय भटनागर सीबीआइ में एडिशनल डायरेक्टर, 1993 बैच के एमएस भाटिया आइजी, सीआरपीएफ, नई दिल्ली, 1994 बैच की संपत मीणा सीबीआइ की ज्वाइंट डायरेक्टर, 1995 बैच के संजय आनंद लाटकर आइजी, सीआरपीएफ, महाराष्ट्र, 1996 बैच के बलजीत सिंह इडी (सिक्योरिटी), ओएनजीसी, 1997 बैच के आशीष बत्रा एनआइए के आइजी और 2001 बैच के मनोज कौशिक वित्त विभाग की फाइनेंसियल इंटेलिजेंस, नई दिल्ली के एडिशनल डायरेक्टर के पद पर पदस्थापित हैं।