रांची | धार्मिक समाचार:
श्रावण मास (सावन) का हिन्दू धर्म में अत्यधिक आध्यात्मिक और पावन महत्व है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना और भक्तिभाव के लिए जाना जाता है। वर्ष 2025 में कांवड़ यात्रा की शुरुआत 11 जुलाई से होगी, जो 9 अगस्त तक चलेगी। इस दौरान देशभर से लाखों शिवभक्त गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं और “हर हर महादेव” के जयघोष से वातावरण को गुंजायमान करते हैं।
📅 कब से होगी कांवड़ यात्रा की शुरुआत?
वर्ष 2025 में सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई की रात 2:06 बजे से मानी जाएगी। इसी दिन से कांवड़ यात्रा का शुभारंभ होगा। यह यात्रा सावन शिवरात्रि तक चलती है, जो इस बार अगस्त के पहले सप्ताह में पड़ने वाली है। कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु पवित्र नदियों विशेषकर गंगा से जल भरकर उसे अपने क्षेत्र के शिव मंदिरों तक पहुंचाते हैं और शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
🛕 क्या है कांवड़ यात्रा और इसका महत्व?
कांवड़ यात्रा एक पौराणिक और धार्मिक परंपरा है, जिसके अनुसार भक्तगण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हैं। इस यात्रा की शुरुआत भगवान परशुराम द्वारा मानी जाती है। मान्यता है कि इस जल से शिवलिंग का अभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है।
🕉️ सावन 2025: जानिए प्रारंभ और समापन की तारीखें
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शुभारंभ: 11 जुलाई 2025 (रात्रि 2:06 बजे से)
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समापन: 9 अगस्त 2025 (श्रावण पूर्णिमा)
वेदिक पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण मास 30 दिनों का होगा और इसमें चार सोमवार पड़ेंगे, जिनका अत्यधिक महत्व माना गया है।
🚩 उत्तर भारत में विशेष धूमधाम
उत्तर भारत के हरिद्वार, काशी, देवघर, गया, पटना, रांची और जमशेदपुर जैसे क्षेत्रों में कांवड़ यात्रा विशेष रूप से मनाई जाती है। इन स्थानों पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और आवास के विशेष प्रबंध प्रशासन द्वारा किए जाते हैं, क्योंकि लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।
🛑 प्रशासनिक तैयारियां और अलर्ट
हर वर्ष की तरह 2025 में भी झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश सरकारें कांवड़ यात्रियों के लिए विशेष सुरक्षा, मेडिकल सहायता, लंगर और रुकने की व्यवस्था करती हैं। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे यात्रा के दौरान अनुशासन और संयम बनाए रखें, जिससे किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो।