रांची: सीएम हेमंत सोरेन से जुड़े खनन पट्टा मामले की सुनवाई निर्वाचन आयोग द्वारा पूरी हो चुकी है. इस पर फिलहाल फैसले का इंतजार है. इधर, जेएमएम की तरफ से भाजपा को भी घेरने की पूरी तैयारी है. जेएमएम और भाजपा के साह मात के खेल में कांके विधायक समरी लाल फंसते दिख रहे है. ऐसी संभावना जताई जा रही है उनकी सदस्यता पर भी आंच आ सकती है. दरअसल, कांके विधायक समरी लाल पर आरोप यह है कि उन्होंने अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट कांके विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, जबकि वे आरक्षण के लाभ के दायरे में नहीं आते हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे प्रत्याशी सुरेश बैठा ने इससे संबंधित एक आवेदन भी सलंगन किया था जिसमें उनके जाति प्रमाण पत्र को रद्द करने संबंधी छानबीन समिति को रिपोर्ट भेजी गई थी.
इस पर स्पीकर ने पत्र में लिखा था कि संविधान के अनुच्छेद 371(ए) के खंड (2) के मुताबिक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कांके विधानसभा सीट पर केवल अनुसूचित जाति का व्यक्ति ही विधायकी का दावेदारी कर सकता है. आपको बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत इस मामले में राज्यपाल फैसला लेने का पूरा हक है. इससे पहले निर्वाचन आयोग से इस मामले में विचार विमर्श करना होगा. उसके बाद अंतिम फैसला राज्यपाल ले सकते हैं.
आपको बता दें कि जेएमएम और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से इसकी शिकायत राज्यपाल रमेश बैस से की थी. उन्होंने समरी लाल के जाति प्रमाण पत्र को जाति छानबीन समिति द्वारा रद्द करने की सूचना भी उन तक पहुंचाई थी और समरी लाल को विधानसभा सदस्यता के अयोग्य भी बताया था.
भाजपा की मांग की सीएम हेमंत सोरेन की सदस्यता रद्द हो..
इधर, हेमंत सोरेन रांची के अंगारा में आवंटित स्टोन माइंस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं. इस मामले में निर्वाचन आयोग में सुनवाई हो चुकी है, फैसला का इंतजार है. हेमंत सोरेन पर भाजपा ने लोक प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 9 ए के तहत आरोप लगाते हुए विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की मांग की है.