झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की सीजीएल परीक्षा के पेपर लीक मामले में सीआईडी ने अपनी जांच पूरी कर ली है और अब 24 फरवरी तक अदालत में जांच रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर रही है. पेपर लीक मामले के खुलासे के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने परीक्षा के फाइनल रिजल्ट पर रोक लगा रखी है और इस संबंध में सुनवाई जारी है. 22 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सीआईडी को चार सप्ताह के भीतर इस मामले से जुड़ी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था. जांच के दौरान सीआईडी ने कई महत्वपूर्ण सुराग जुटाए, जिनमें परीक्षा से पहले ही कुछ अभ्यर्थियों के पास प्रश्नों के उत्तर होने की पुष्टि हुई. इस मामले में 22 सितंबर को आयोजित हुई परीक्षा की पहली पाली में सामान्य ज्ञान पेपर-3 से जुड़े सवालों के पहले से लीक होने की शिकायतें मिली थीं.
अभ्यर्थियों ने सीआईडी को सौंपे थे सबूत
पेपर लीक मामले में परीक्षा देने वाले कई अभ्यर्थियों ने सीआईडी को पुख्ता सबूत सौंपे थे. अभ्यर्थियों ने अलग-अलग परीक्षा केंद्रों से मिले वीडियो और फोटो सबूत के रूप में पांच मोबाइल फोन जांच के लिए एसआईटी को सौंपे थे. इन मोबाइल फोन को बाद में फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था ताकि पता लगाया जा सके कि पेपर लीक की सूचना कहां से और किस माध्यम से फैलाई गई थी.
सीआईडी ने गठित की 5 अधिकारियों की एसआईटी
पेपर लीक मामले की जांच के लिए सीआईडी ने विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था. इस एसआईटी का नेतृत्व सीआईडी की डीआईजी संध्या रानी मेहता कर रही हैं, जबकि टीम में सीआईडी की एसपी निधि द्विवेदी, रांची के ग्रामीण एसपी सुमित अग्रवाल, डीएसपी अमर कुमार पांडेय और डीएसपी मुन्ना प्रसाद गुप्ता शामिल हैं. एसआईटी ने गहराई से जांच करते हुए विभिन्न डिजिटल साक्ष्यों का विश्लेषण किया और परीक्षा से पहले लीक हुए प्रश्नों और उनके उत्तरों की पुष्टि की. इसके अलावा, फॉरेंसिक जांच में यह भी देखा गया कि अभ्यर्थियों को प्रश्नों के उत्तर किस माध्यम से प्राप्त हुए थे और इसमें कौन-कौन लोग शामिल थे.
पेपर लीक की जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य
जांच में यह सामने आया कि परीक्षा से पहले कुछ अभ्यर्थियों को उत्तरों की जानकारी पहले से ही मिल गई थी. यह मामला 22 सितंबर को आयोजित सीजीएल परीक्षा की पहली पाली में सामने आया, जब सामान्य ज्ञान पेपर-3 के कुछ सवाल सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से पहले ही लीक हो चुके थे. इस संबंध में परीक्षा देने वाले कई छात्रों ने सीआईडी को सबूत उपलब्ध कराए, जिसमें परीक्षा केंद्रों से रिकॉर्ड किए गए वीडियो और तस्वीरें शामिल थीं.
रातू थाना में दर्ज हुई थी प्राथमिकी, बाद में सीआईडी ने संभाली जांच
पेपर लीक का मामला सामने आने के बाद सबसे पहले रातू थाना में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. बाद में, मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे सीआईडी को सौंप दिया गया. सीआईडी ने इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की और एसआईटी की मदद से पेपर लीक के सूत्रों को ट्रैक करने की कोशिश की.
फॉरेंसिक रिपोर्ट में क्या हो सकते हैं खुलासे?
फॉरेंसिक लैब को भेजे गए मोबाइल फोन की जांच रिपोर्ट अब आने वाली है. रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो सकता है कि प्रश्नपत्र लीक होने की प्रक्रिया कब और कैसे हुई. साथ ही, यह भी पता चलेगा कि इस पूरे मामले में कौन-कौन लोग संलिप्त थे और किस स्तर तक पेपर लीक का नेटवर्क फैला हुआ था.
24 फरवरी को कोर्ट में पेश होगी रिपोर्ट
अब सीआईडी अपनी पूरी जांच रिपोर्ट 24 फरवरी तक अदालत को सौंपने की तैयारी कर रही है. यह रिपोर्ट कोर्ट के लिए अहम साबित होगी, क्योंकि इसके आधार पर हाईकोर्ट आगे की कार्रवाई तय करेगा. फिलहाल, अदालत ने जेएसएससी सीजीएल परीक्षा के फाइनल रिजल्ट पर रोक लगा रखी है और इस मामले की विस्तृत सुनवाई अभी भी चल रही है.
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
यदि कोर्ट को सीआईडी की रिपोर्ट में मजबूत सबूत मिलते हैं, तो यह संभव है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए. साथ ही, सरकार को भी यह तय करना होगा कि क्या इस परीक्षा को रद्द कर फिर से आयोजित किया जाए या फिर जांच के नतीजों के आधार पर आगे कोई निर्णय लिया जाए.