झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की पहली संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा में हुए भर्ती घोटाले को लेकर सीबीआई की विशेष अदालत ने 47 अफसरों समेत 74 आरोपियों को समन जारी किया है। इन सभी पर नियमों के विरुद्ध जाकर भर्ती प्रक्रिया में धांधली करने का आरोप है। कोर्ट ने आरोपियों को आदेश दिया है कि वे स्वयं या अपने वकील के माध्यम से पक्ष रखें।
क्या है मामला?
जेपीएससी ने दिसंबर 2002 में प्रथम संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया था। इस परीक्षा के माध्यम से 65 डिप्टी कलेक्टरों की भर्ती की गई। जांच में पाया गया कि भर्ती प्रक्रिया के प्रत्येक स्तर पर अनियमितताएं की गईं। प्रारंभिक परीक्षा में 665 उम्मीदवारों को सफल घोषित करना था, लेकिन 9,488 उम्मीदवारों को पास कर दिया गया।
मुख्य परीक्षा में भी धांधली की गई, जहां 196 की जगह 246 उम्मीदवारों को सफल घोषित किया गया। इसके बाद साक्षात्कार में भी अधिक संख्या में अभ्यर्थियों को बुलाया गया। साक्षात्कार के लिए चार बोर्ड बनाए गए थे, जिनमें प्रत्येक का नेतृत्व आयोग के अध्यक्ष और एक सदस्य कर रहे थे।
आखिरकार, जेपीएससी ने 64 उम्मीदवारों का चयन किया, जिनमें से 49 उम्मीदवार ऐसे थे जो प्रारंभिक परीक्षा में भी सफल नहीं होने चाहिए थे।
सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट
सीबीआई ने 12 साल की लंबी जांच के बाद 4 मई 2024 को जेपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि भर्ती प्रक्रिया में मानदंडों का उल्लंघन कर चयनित उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाने के लिए मूल्यांकनकर्ताओं का कोई पैनल भी तैयार नहीं किया गया था।
कोर्ट का आदेश
16 जनवरी को चार्जशीट पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई की विशेष अदालत ने 74 आरोपियों को समन जारी किया। समन में उन्हें अपने पते पर भेजे गए नोटिस के अनुसार कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
चयनित 64 उम्मीदवारों में से दो अधिकारियों ने सेवा छोड़ दी है और दो अन्य की मृत्यु हो गई है। शेष अधिकारी वर्तमान में झारखंड सरकार में विभिन्न पदों पर कार्यरत हैं।
यह घोटाला न केवल प्रशासनिक प्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि इसे झारखंड के सबसे बड़े भर्ती घोटालों में से एक माना जा रहा है। सीबीआई की जांच और अदालत की कार्यवाही से मामले में आगे और खुलासे होने की उम्मीद है।