जेपीएससी सिविल सेवा की परीक्षा वर्ष 2016 के बाद 2021 में हो रही है। ऐसे में सरकार ने कट ऑफ डेट का निर्धारण 1 अगस्त 2016 किया है। वही, सातवीं जेपीएससी परीक्षा के लिए कट ऑफ की तिथि को हाईकोर्ट ने सही बताया है और कहा है कि यह सरकार का नीतिगत मामला है। इसमें कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकता। इसी आलोक में एकलपीठ ने आदेश दिया है। इस आदेश के साथ ही चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने उम्र सीमा के निर्धारण के खिलाफ दायर अपील याचिका खारिज कर दी और एकलपीठ के आदेश को उचित बताया।
गौतलब है की एकल पीठ ने पहले ही प्रार्थियों की दलील खारिज कर दी थी। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार के पक्ष को सही माना और मौखिक रूप से कहा कि अदालत प्रार्थियों के साथ सहानुभूति रखती है, लेकिन सरकार ने पहले ही उम्र सीमा में छूट दी है। इसके बाद ही अदालत ने इस मामले का विस्तृत आदेश बाद में जारी करने की बात कहते हुए सभी याचिकाएं खारिज कर दीं।
वही, छात्रों का कहना था कि सातवीं जेपीएससी के लिए सरकार ने पहले फरवरी 2020 में विज्ञापन निकाला। इसमें परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिकतम उम्र सीमा का निर्धारण 1 अगस्त 2011 रखा गया था। लेकिन तीन दिन बाद ही विज्ञापन रद्द कर दिया गया। दोबारा सातवीं से दसवीं जेपीएससी के लिए जनवरी 2021 में विज्ञापन जारी किया गया, इसमें उम्र सीमा का निर्धारण 1 अगस्त 2016 से कर दिया गया। इससे हजारों विद्यार्थी परीक्षा से वंचित हो जाएंगे। जिसके बाद, अदालत से उम्र की निर्धारण तिथि 1 अगस्त 2011 करने का आग्रह किया गया था। वही, सरकार की ओर से तर्क देते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि पहले जेपीएससी परीक्षा के लिए कोई नियमावली नहीं थी। अब सरकार ने नियमावली बनायी है और उसी के तहत परीक्षा ली जा रही है। उन्होंने अदालत को बताया कि 2016 के बाद जेपीएससी की परीक्षा 2021 में ली जा रही है। आखिरकार, छात्रों के हितों को देखते हुए ही 2021 की परीक्षा में उम्र का निर्धारण वर्ष 2016 से किया गया है।