चम्पाई सोरेन, लोबिन हेंब्रम और सीता सोरेन की बगावत के बाद अब झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और महेशपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रो. स्टीफन मरांडी के बयान ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. हेमंत सोरेन सरकार में बीस सूत्री के कार्यकारी अध्यक्ष प्रो. स्टीफन मरांडी का एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वह कहते दिख रहे हैं कि पार्टी के हित में, पार्टी न टूटे और पार्टी छोटी न हो, इसके लिए वह अपमान का घूंट पीकर भी पार्टी में बने हुए हैं. स्टीफन के इस बयान ने संताल क्षेत्र की राजनीति में झामुमो के लिए एक बार फिर चिंताएं बढ़ा दी हैं. मरांडी के वीडियो के बाद, झामुमो के गढ़ संताल परगना में पार्टी की स्थिति कमजोर होती दिखाई दे रही है. झामुमो के पुराने और दिग्गज नेताओं के विरोध का यह सिलसिला आगे क्या गुल खिलाएगा, यह आने वाले समय में ही पता चलेगा.
वीडियो वायरल होने के बाद सफाई
वीडियो के वायरल होने के बाद, स्टीफन मरांडी ने सफाई देते हुए कहा कि उनकी कोई नाराजगी नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसी छोटी-मोटी बातें होती रहती हैं और उनका झामुमो से कोई मतभेद नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि वह मजबूती से पार्टी के साथ खड़े हैं और मामले को गलत तरीके से तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
राजनीतिक सफर और बगावत की पृष्ठभूमि
स्टीफन मरांडी, जो झामुमो में एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं, का जन्म 1953 में दुमका जिला के गोपीकांदर प्रखंड के गोड़ी गांव में हुआ था. उन्होंने 1978 में एक कॉलेज टीचर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में राजनीति में प्रवेश किया. अंग्रेजी में एमए और एलएलबी की डिग्री रखने वाले स्टीफन मरांडी ने झामुमो के टिकट पर दुमका विधानसभा से 1980 से लगातार पांच बार विधायक बने. एक समय उन्होंने झामुमो से बगावत कर निर्दलीय चुनाव भी लड़ा और जीत हासिल की. इसके अलावा, वह एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में झामुमो के हेमंत सोरेन ने उन्हें हराया था. 2004 से 2005 के दौरान, स्टीफन मरांडी राज्यसभा के सदस्य भी चुने गए थे और झारखंड के उपमुख्यमंत्री बनने का गौरव भी प्राप्त कर चुके हैं. 2014 के विधानसभा चुनाव में, उन्होंने महेशपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और विधायक बने.