आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सत्ता में वापसी के लिए एक स्पष्ट और ठोस रणनीति तैयार कर ली है. पार्टी के रणनीतिकारों ने साफ कर दिया है कि वे इस योजना पर सख्ती से अमल करेंगे. झामुमो सीटों की हिस्सेदारी के मामले में कांग्रेस और आईएनडीआईए गठबंधन (I.N.D.I. Alliance) के अन्य घटक दलों के दबाव में नहीं आएगा. पार्टी ने घोषणा की है कि राज्य में उसकी भूमिका ‘बड़े भाई’ की होगी, यानी वह कांग्रेस और अन्य दलों से सीट बंटवारे में प्रमुख भूमिका निभाएगा.
हरियाणा चुनाव परिणाम का असर
इस रणनीति को और भी मजबूती तब मिली जब हाल ही में हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए. कांग्रेस को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली, जबकि एग्जिट पोल ने उसके लिए बेहतर रुझान दिए थे. कांग्रेस को बैकफुट पर जाना पड़ा और इससे झारखंड में क्षेत्रीय दल झामुमो का दबाव और बढ़ गया. यह स्थिति झामुमो को सीट बंटवारे में अधिक प्रभावी बना रही है, क्योंकि कांग्रेस अब झारखंड में अधिक दबाव बनाने की स्थिति में नहीं है.
हर सीट पर फोकस, जीतने लायक उम्मीदवार ही होगा मान्य
बुधवार को नई दिल्ली में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई मुलाकात में भी इस बात पर चर्चा की गई कि झामुमो का फोकस एक-एक सीट पर होगा. हर उस सीट पर, जिस पर कांग्रेस दावेदारी करेगी, उसे स्पष्ट करना होगा कि वहां जीतने योग्य प्रत्याशी है या नहीं. केवल दावेदारी की वजह से सीट नहीं सौंपी जाएगी, बल्कि सीट पर जीतने की संभावना और उम्मीदवार की क्षमता के आधार पर फैसला लिया जाएगा. झामुमो के इस रुख से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस झारखंड में सीट बंटवारे पर ज्यादा दबाव नहीं बना पाएगी. बैठक में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और महासचिव केसी वेणुगोपाल जैसे बड़े नेता उपस्थित थे.
‘कांग्रेस गलतफहमी में न रहे’
हाल ही में, जब प्रदेश कांग्रेस प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने पार्टी के संवाद कार्यक्रम में यह कहा कि कांग्रेस 25-30 सीटें जीतने की स्थिति में है और पार्टी का मुख्यमंत्री भी बन सकता है, तो झामुमो ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई. झामुमो ने साफ कहा कि कांग्रेस किसी भी गलतफहमी में न रहे. झामुमो ने यह भी साफ किया कि यदि जरूरत पड़ी तो वह सभी 81 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है. हालांकि, कांग्रेस ने तुरंत इस बयान पर सफाई दी और कहा कि मीर का यह बयान कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए दिया गया था. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना था, न कि गठबंधन को लेकर कोई भ्रम पैदा करना.
सीट बंटवारे पर सक्रियता बढ़ेगी
दुर्गा पूजा समाप्त होते ही झामुमो सीट बंटवारे पर अपनी सक्रियता बढ़ाएगा. इस संदर्भ में 14 अक्टूबर को पार्टी की विस्तारित केंद्रीय समिति की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आगामी चुनावों के लिए निचले स्तर पर तैयारियों की रणनीति बनाएंगे. इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करना होगा. इसके साथ ही, पार्टी कार्यकर्ताओं को इन योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दी जाएगी. हेमंत सोरेन की नेतृत्व क्षमता को देखते हुए झामुमो ने यह स्पष्ट किया है कि वह इस बार राज्य में सत्ता में वापसी के लिए पूरी तरह से तैयार है. पार्टी का लक्ष्य न केवल चुनाव जीतना है, बल्कि सत्ता में रहते हुए अपनी कल्याणकारी योजनाओं को भी जनता के बीच स्थापित करना है, ताकि वह एक स्थायी राजनीतिक ताकत के रूप में उभरे.
कांग्रेस की स्थिति कमजोर
झारखंड में कांग्रेस की स्थिति इस समय उतनी मजबूत नहीं दिख रही है कि वह झामुमो पर किसी प्रकार का दबाव बना सके. हरियाणा चुनाव के परिणामों ने भी इसे और स्पष्ट कर दिया है. झारखंड में भी कांग्रेस को अपने कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखने के लिए उत्साहजनक बातें करनी पड़ रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. कांग्रेस के भीतर भी यह बात साफ है कि पार्टी को चुनाव में सफलता पाने के लिए झामुमो का समर्थन आवश्यक है. इसलिए, कांग्रेस अब सीट बंटवारे के मुद्दे पर ज्यादा जोर देने की स्थिति में नहीं है.
झामुमो की भविष्य की योजना
झामुमो की रणनीति स्पष्ट है. वह एक-एक सीट पर फोकस करेगा और हर सीट पर जीतने योग्य उम्मीदवार ही खड़ा करेगा. पार्टी का उद्देश्य यह है कि वह गठबंधन में रहते हुए भी अपनी प्रमुख भूमिका बनाए रखे और सत्ता में वापसी के लिए कोई भी कसर न छोड़े. हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो को विश्वास है कि पार्टी एक बार फिर से झारखंड की सत्ता में वापसी करेगी. इस बीच, झामुमो के रणनीतिकार इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि पार्टी के कार्यकर्ता राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का फायदा हर एक मतदाता तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाएं. पार्टी का यह मानना है कि अगर वह सरकारी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन का प्रचार कर पाए, तो इससे उसे चुनाव में बड़ी सफलता मिल सकती है.