झामुमो का नेतृत्व बदला, अब राष्ट्रीय राजनीति की तैयारी..

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन में सोमवार को बड़ा संगठनात्मक बदलाव किया गया। अब तक कार्यकारी अध्यक्ष रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पार्टी का नया अध्यक्ष चुना गया, जबकि दिशोम गुरु शिबू सोरेन को ‘संस्थापक संरक्षक’ की जिम्मेदारी सौंपी गई। पार्टी के संविधान में संशोधन कर कार्यकारी अध्यक्ष पद को समाप्त कर दिया गया।

खेलगांव स्थित बाबा साहब भीमराव अंबेडकर प्रांगण में आयोजित इस महाधिवेशन में देशभर से आए करीब चार हजार प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। मंच पर जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्हीलचेयर पर शिबू सोरेन को लेकर पहुंचे, तो पूरा परिसर “जय झारखंड” के नारों से गूंज उठा।

राष्ट्रीय पहचान की ओर झामुमो, बिहार समेत कई राज्यों में लड़ेगी चुनाव..

महाधिवेशन में झामुमो ने खुद को राष्ट्रीय राजनीतिक ताकत बनाने की दिशा में भी बड़ा फैसला लिया। पारित राजनीतिक प्रस्ताव में बताया गया कि पार्टी अब बिहार, बंगाल, ओडिशा, असम, दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में संगठन को सक्रिय करेगी।

बिहार के जमुई, भागलपुर, पुर्णिया, कटिहार, किशनगंज और बांका जिलों में झामुमो आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेगी। इसके लिए स्थानीय आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों को संगठित कर अभियान चलाया जाएगा।

भाजपा पर तीखा हमला, गिरफ्तारी को बताया ‘षड्यंत्र’

राजनीतिक प्रस्ताव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता से घबराकर केंद्र सरकार ने साजिश के तहत उन्हें गिरफ्तार कराया। प्रस्ताव में कहा गया, “यह देश के लोकतंत्र और संघीय ढांचे पर सीधा हमला था। सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग का दुरुपयोग कर उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।”

महाधिवेशन में यह भी कहा गया कि पांच माह के कठिन कारावास ने हेमंत सोरेन को ‘लौह पुरुष’ बना दिया। रिहाई के बाद हुए विधानसभा चुनाव में झामुमो ने 34 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में वापसी की और गठबंधन ने 81 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की। प्रस्ताव में कटाक्ष करते हुए लिखा गया, “56 इंच सीने वाले के सीने में 56 विधायक तीर के समान प्रवेश कर गए।”

वक्फ संशोधन बिल और परिसीमन का विरोध..

पार्टी ने केंद्र सरकार के वक्फ संशोधन बिल 2025 का भी विरोध किया है। प्रस्ताव में इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया गया और कहा गया कि राज्यों की सहमति के बिना ऐसा कोई संशोधन असंवैधानिक है।

इसके साथ ही झामुमो ने परिसीमन प्रक्रिया को भी आदिवासी आरक्षित सीटों को घटाने की साजिश करार दिया। पार्टी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 80 और 81 का उल्लंघन बताया और कहा कि झामुमो इसका पुरजोर विरोध करेगा।

दिल्ली में खोलेगा समन्वय कार्यालय..

राजनीतिक प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि पार्टी दिल्ली में एक समन्वय एवं संपर्क कार्यालय खोलेगी ताकि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी राजनीतिक सक्रियता को और अधिक मजबूती दी जा सके।

संघर्ष से सत्ता तक और अब देशभर में विस्तार की तैयारी..

महाधिवेशन में हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो एक संघर्षशील संगठन है जिसने न केवल झारखंड राज्य का गठन कराया, बल्कि उसे बेहतर ढंग से संचालित कर अपनी क्षमता भी साबित की है। उन्होंने कहा कि पार्टी अब राष्ट्रीय पहचान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और पूरे देश में आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के अधिकारों के लिए संघर्ष तेज करेगी।

 

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