झारखंड के प्रशांत कुमार बने लंदन में कंजरवेटिव पार्टी के काउंसलर उम्मीदवार….

झारखंड के बेटे प्रशांत कुमार ने अपने जीवन की नई ऊंचाई पर कदम रखा है. यूके की कंजरवेटिव पार्टी ने उन्हें वर्ष 2026 के काउंसलर चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. यह झारखंड और भारत के लिए गर्व का विषय है. प्रशांत का जीवन समाज सेवा, शिक्षा और व्यवसाय में उल्लेखनीय उपलब्धियों से भरा हुआ है.

झारखंड से लंदन तक का सफर

प्रशांत कुमार ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा झारखंड के रामगढ़ जिले के होली क्रॉस स्कूल, घाटोटांड़ (वेस्ट बोकारो) से पूरी की. स्कूली दिनों से ही वे समाज सेवा में सक्रिय रहे. उन्होंने सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और 400 से अधिक आदिवासी छात्रों को शिक्षित करने और उनकी सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. प्रशांत वनवासी कल्याण आश्रम से जुड़े और आदिवासी समाज के उत्थान के लिए निरंतर कार्यरत रहे. उनकी यही समाज सेवा की भावना आगे चलकर उनकी पहचान बनी.

टाटा समूह में प्रशांत की उपलब्धियां

प्रशांत कुमार का झारखंड से मुंबई और फिर लंदन तक का सफर काफी प्रेरणादायक रहा. उनके परदादा, दादा और पिता टाटा स्टील में कार्यरत थे. प्रशांत ने भी अपने करियर की शुरुआत टाटा समूह के साथ की और वहां विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया. प्रशांत ने टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड में डिजिटल और डेटा प्रमुख के रूप में काम किया. उन्होंने टाटा सॉल्ट, टेटली और टाटा टी जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड्स का नेतृत्व किया. इन ब्रांड्स के साथ उनकी नेतृत्व क्षमता ने उन्हें कॉर्पोरेट क्षेत्र में एक मजबूत पहचान दिलाई. लंदन जाने से पहले प्रशांत ने अपने अनुभव और कौशल से टाटा समूह में उल्लेखनीय योगदान दिया.

सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रियता

प्रशांत कुमार का झुकाव बचपन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों की ओर रहा. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और नियमित रूप से शाखाओं में भाग लेते थे. बेंगलुरु में रहने के दौरान उन्होंने आईटी मिलन के सदस्य के रूप में काम किया. उनका संपर्क भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से हुआ. प्रशांत ने एक बार आरएसएस प्रचारक बनने की इच्छा जताई थी, लेकिन उन्हें अपनी मां से अनुमति नहीं मिल पाई. इसके बावजूद उन्होंने समाज सेवा और राजनीतिक गतिविधियों में अपनी सक्रियता बनाए रखी. 2014 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान का समर्थन किया और छह महीने तक बड़ोदरा में बीजेपी के लिए काम किया.

डिजिटल फॉर ह्यूमिनिटी की स्थापना

प्रशांत ने “डिजिटल फॉर ह्यूमिनिटी सीआइसी” नामक कंपनी की स्थापना की, जो युवाओं और उद्यमियों को उनके व्यवसाय बढ़ाने में मदद करती है. उनकी यह पहल सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में नई संभावनाएं खोलने का एक प्रयास है. प्रशांत वर्तमान में यूके में ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ बीजेपी झारखंड के अध्यक्ष भी हैं. इसके माध्यम से वे भारत, यूके और यूरोप के उद्यमियों के बीच एक मजबूत नेटवर्क स्थापित कर रहे हैं.

झारखंड की मिट्टी से गहराई तक जुड़े

प्रशांत का झारखंड से गहरा संबंध है. उनके परिवार ने टाटा स्टील में काम करते हुए झारखंड के विकास में योगदान दिया. उनकी पत्नी लक्ष्मी के परिवार का भी टाटा स्टील से पुराना नाता है. प्रशांत ने झारखंड की शिक्षा और संस्कृति को अपनी पहचान का हिस्सा बनाया और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का प्रयास किया.

एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व

प्रशांत कुमार की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो समाज और देश के लिए कुछ करने की चाह रखता है. उनकी उपलब्धियां यह साबित करती हैं कि लगन और मेहनत से कोई भी व्यक्ति अपने सपनों को साकार कर सकता है. झारखंड के बेटे के रूप में उनकी यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे राज्य के लिए गर्व का विषय है.

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