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झारखंड के कवि अनुज लुगुन को मिला मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार….

झारखंड के युवा कवि अनुज लुगुन को उनके कविता संग्रह ‘अघोषित उलगुलान’ के लिए साल 2023 का मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई है. इस घोषणा के बाद अनुज लुगुन ने कहा कि ‘उलगुलान’ हमारी सामूहिक चेतना की बुनियाद है. ‘अघोषित उलगुलान’ को स्वीकार किया जाना हमारे लिए प्राणवान है. इसके लिए निर्णायक मंडल को धन्यवाद और जोहार. केपी सिंह मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष नमिता सिंह और जनवादी लेखक संघ के केंद्रीय संयुक्त महासचिव नलिन रंजन सिंह ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस संबंध में जानकारी दी है. अनुज लुगुन को यह पुरस्कार 6 अक्टूबर 2024 को लखनऊ में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया जाएगा. प्रसिद्ध कवि मलखान सिंह सिसौदिया द्वारा 2007 में स्थापित यह पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी युवा कवि को दिया जाता है. अनुज लुगुन से पहले यह पुरस्कार चर्चित कवि दिनेश कुशवाह, एकांत श्रीवास्तव, श्रीप्रकाश शुक्ल, शैलेय, अशोक तिवारी, भरत प्रसाद, संजीव कौशल, निशांत, संतोष चतुर्वेदी, रमेश प्रजापति, प्रदीप मिश्र, विशाल श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश चौबे, बच्चा लाल ‘उन्मेष’ और शंकरानंद को दिया जा चुका है.

अनुज लुगुन के तीन कविता संग्रह प्रकाशित

युवा कवि अनुज लुगुन समकालीन साहित्य के बेहद चर्चित युवा कवि हैं. अब तक उनके तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कविता संग्रह ‘अघोषित उलगुलान’ की कविताएं आदिवासी जीवन का प्रतिबिम्ब हैं. जल, जंगल, जमीन के खिलाफ खड़ी शक्तियों के विरुद्ध इनमें विद्रोह का स्वर है. कविताओं में पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के आह्वान के साथ कवि ने उन लोगों की भी आवाज बनने की कोशिश की है, जो हाशिए पर डाल दिए गए हैं. कवि की कविताओं से यह स्पष्ट होता है कि वह उन शक्तियों को पहचानता है जो दुनिया में कहीं भी कमजोरों का शोषण कर रही हैं और पूंजीवादी ताकतों को मजबूत कर रही हैं. अनुज लुगुन सीमाओं को तोड़ते हुए हर समाज के शोषितों और वंचितों के साथ खड़े हैं. उनकी कविताएं संघर्ष का जीवंत दस्तावेज हैं.

‘उलगुलान’ हमारी सामूहिक चेतना की बुनियाद: अनुज लुगुन

‘अघोषित उलगुलान’ के लिए पुरस्कार की घोषणा के बाद अनुज लुगुन ने कहा, “‘उलगुलान’ हमारी सामूहिक चेतना की बुनियाद है. ‘अघोषित उलगुलान’ को स्वीकार किया जाना हमारे लिए प्राणवान है. इसके लिए निर्णायक मंडल को धन्यवाद और जोहार. यह आदिवासियत की जमीन पर खड़े मनुष्य की गरिमा, उसकी मुक्ति और सहजीवियों के साथ सह-अस्तित्व का दर्शन है. यह हमारी प्रेरणा है और मार्गदर्शक भी है. ‘अघोषित उलगुलान’ इसकी छाया मात्र है. यह कथित महाख्यानों और महान परंपराओं के सांस्कृतिक वर्चस्व और ऐतिहासिक अन्याय का काव्यात्मक प्रतिरोध भी है. प्रतिरोध में यह संवाद है. कविता के लिए तो मुझे खुद को और गढ़ना है. ढालना है खुद को दृढ़ बनाये रखने के लिए.“

सामूहिक चेतना और आदिवासी संघर्ष का प्रतिनिधित्व

अनुज लुगुन की कविताओं में आदिवासी जीवन और उनकी समस्याओं का वास्तविक और गहरा चित्रण होता है. उनकी रचनाओं में आदिवासी समाज की आवाज़ और उनके संघर्ष का जीवन्त चित्रण है. ‘अघोषित उलगुलान’ में कवि ने जल, जंगल, जमीन की समस्याओं और आदिवासी समाज की आवाज़ को प्रमुखता से उठाया है. कविताओं में आदिवासी समाज के खिलाफ हो रहे शोषण और अन्याय के खिलाफ विद्रोह का स्वर है. कवि ने पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज़ बनने की कोशिश की है.

पुरस्कार और सम्मान

अनुज लुगुन को मिला यह पुरस्कार उनके साहित्यिक योगदान और आदिवासी समाज के संघर्ष को आवाज़ देने के लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता है. मलखान सिंह सिसौदिया कविता पुरस्कार का उद्देश्य युवा कवियों को प्रोत्साहित करना और उनकी रचनाओं को सम्मानित करना है. यह पुरस्कार साहित्यिक जगत में अनुज लुगुन की महत्वपूर्ण भूमिका को और भी मजबूत करेगा.

समकालीन साहित्य में अनुज लुगुन का योगदान

अनुज लुगुन समकालीन साहित्य में एक महत्वपूर्ण नाम हैं. उनकी रचनाओं में समाज के शोषित और वंचित वर्गों की आवाज़ प्रमुखता से सुनाई देती है. अनुज लुगुन की कविताएं सीमाओं को तोड़कर हर समाज के शोषितों और वंचितों के साथ खड़ी हैं. उनकी कविताएं संघर्ष का जीवंत दस्तावेज हैं और समाज में बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं.

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