झारखंड की धरोहर आदिवासी ज्वेलरी को ‘आदिवा’ से मिलेगी नयी पहचान..

पारंपरिक आदिवासी ज्वेलरी ‘आदिवा’ अब झारखंड की नई पहचान बनेगी। झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रोमोशन सोसाईटी (जेएसएलपीएस) के हेहल स्थित राज्य कार्यालय में मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नैन्सी सहाय ने सखी मंडल की महिलाओं द्वारा निर्मित पारम्परिक आदिवासी आभूषण के ब्रांड आदिवा की शुरुआत की। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल पर सखी मंडल के उत्पादों को बड़े बाजार से जोड़ने के लिए पलाश ब्रांड की शुरुआत की गई थी , जिससे ग्रामीण महिलाओं की आमदनी में इजाफा हुआ है । इसी कड़ी में राज्य की पहचान आदिवासी ज्वैलरी को विशिष्ट रूप से स्थापित करने के लिए आदिवा आदिवासी ज्वैलरी ब्रांड का शुभारंभ किया गया है। मौके पर आदिवा ज्वैलरी के कैटलॉग का विमोचन कर ज्वैलरी ब्रांड का शुभारंभ किया गया। आदिवा आभूषण की खरीदारी ऑनलाईन माध्यम से पलाश मार्ट मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए की जा सकती है एवं पलाश मार्ट में भी उपलब्ध रहेगा। पलाश ब्रांड अंतर्गत आदिवा सह ब्रांड के रूप में लॉन्च किया गया है।

लॉन्चिंग कार्यक्रम में JSLPS की CEO नैंसी सहाय ने कहा कि आदिवा ब्रांड के लॉन्च का मुख्य उद्देश्य राज्य के पारंपरिक आभूषण को एक नई पहचान के जरिए बड़े बाजार से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार एवं राज्य की धरोहर आदिवासी ज्वेलरी को सहेजना है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन के मार्गदर्शन में सखी मंडल की महिलाओं द्वारा निर्मित आदिवासी आभूषण को बड़े बाजार से जोड़कर उद्यमिता के नए आयाम स्थापित करने का प्रयास है आदिवा ।

‘आदिवा ‘ के लॉचिंग कार्यक्रम में राज्य के सभी 24 जिलों से जेएसएलपीएस की टीम ऑनलाइन जुड़ी थी। वहीं आदिवा ज्वैलरी निर्माण से जुड़ी खूंटी के मुरहू की कुछ महिलाएं लॉंचिंग कार्यक्रम में मौजूद थी। ज्वैलरी सह ब्रांड ‘आदिवा’ की लॉन्चिंग पर खुशी जाहिर करते हुए खूंटी की यशोदा देवी ने कहा कि इस पहल से हम बहनों द्वारा हस्तनिर्मित ज्वैलरी को नया कलेवर मिल पा रहा है। मुझे उम्मीद है कि हमारे द्वारा निर्मित आदिवासी आभूषण महिलाओं की सुंदरता में चार-चांद लगाएंगे एवं उनकी पहली पसंद होगी आदिवा। हमलोग चांदी, सिल्वर, मेटल आदि से पारंपरिक आदिवासी ज्वैलरी बनाते है, जो लोगों को काफी पसंद आती है।