पलामू में झारखंड का पहला टाइगर सफारी: राजगीर मॉडल पर होगा विकसित, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

रांची – झारखंड सरकार ने पर्यटन को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए राज्य का पहला टाइगर सफारी पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) में विकसित करने का फैसला लिया है। यह सफारी बिहार के राजगीर मॉडल पर आधारित होगी, जहां पर्यटकों के लिए वाइल्डलाइफ देखने और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने की विशेष व्यवस्था की गई है।

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत लगभग 150 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सफारी विकसित की जाएगी। इसकी अनुमानित लागत करीब ₹250 करोड़ बताई जा रही है। राज्य वन्यजीव बोर्ड से स्वीकृति मिलने के बाद यह प्रस्ताव केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (CZA) को भेजा जाएगा।

पर्यटन और रोजगार को मिलेगा बढ़ावा

राज्य सरकार का मानना है कि इस परियोजना से झारखंड के पर्यटन क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे और माओवाद प्रभावित पलामू क्षेत्र में विकास की रफ्तार बढ़ेगी।

राज्य के वन और पर्यटन मंत्री ने बताया कि इस सफारी के बनने से न केवल राज्य के लोगों को रोजगार मिलेगा, बल्कि बाहरी राज्यों और देशों से भी पर्यटक यहां आएंगे।

राजगीर मॉडल की तरह होगी सुविधाएं

बिहार के राजगीर में विकसित सफारी को ध्यान में रखते हुए झारखंड में भी इसी तर्ज पर कांच का पुल, आधुनिक वाइल्डलाइफ सेंटर और ईको-टूरिज्म की व्यवस्था की जाएगी। इससे पर्यटकों को बाघों और अन्य वन्य जीवों को नजदीक से देखने का अवसर मिलेगा।

वर्तमान में पलामू टाइगर रिजर्व में लगभग 5 से 6 बाघों की मौजूदगी दर्ज की गई है। सफारी बनने के बाद इस संख्या में वृद्धि की संभावना भी जताई जा रही है।

पलामू किलों का होगा जीर्णोद्धार

इसी बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि पलामू किलों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। बेतला क्षेत्र में 300 एकड़ में सफारी विकसित करने के साथ-साथ किलों के आसपास पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य होगा। इसका काम 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

क्या है आगे की योजना?

  1. प्रस्ताव की स्वीकृति – राज्य वन्यजीव बोर्ड से पारित कराना।

  2. केंद्रीय अनुमति – केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण से अंतिम स्वीकृति लेना।

  3. निर्माण कार्य – 2025 के अंत तक काम शुरू करने की योजना।

स्थानीय लोगों और विशेषज्ञों की राय

पलामू के स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता शंभू प्रसाद का कहना है, “टाइगर सफारी से इस क्षेत्र का कायाकल्प हो सकता है। अगर इसे सही ढंग से लागू किया जाए, तो पलामू टाइगर रिजर्व देशभर में पहचान बना सकता है।”

राजगीर मॉडल पर आधारित यह टाइगर सफारी झारखंड में पर्यटन के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकती है। इसका उद्देश्य न केवल पर्यटकों को आकर्षित करना है बल्कि माओवाद प्रभावित इलाकों में विकास और रोजगार सृजन को भी गति देना है।

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