कहानी झारखंड के साहिबगंज कार्यपालक दंडाधिकारी सविता सिंह की है। जिन्होंने अपने लगन और मेहनत से नई मिसाल कायम की है। उनकी शादी 2006 में हुई। जिसके दो साल बाद उन्होंने बेटे को जन्म दिया। उनके पति विभूति सिंह ने उन्हे प्रोत्साहित किया जिसके बाद उन्होंने फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। उसके बाद सविता ने अंग्रेजी से एमए किया। शादी के 13 साल बाद उन्होंने 2019 में जेपीएससी की परीक्षा दी। जिसके परिणाम 2020 में आया और वह डिप्टी कलेक्टर बन गईं।
कार्यपालक दंडाधिकारी के तौर पर हुई पहली पोस्टिंग..
सविता ने खूंटी में प्रशिक्षण प्राप्त कर साहिबगंज में साल 2022 में कार्यपालक दंडाधिकारी के तौर पर पहली पोस्टिंग हुई। वहीं काम के प्रति समर्पण देख सविता को जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी, जन सूचना कोषांग की प्रभारी उपसमाहर्ता, जिला जन सुविधा कोषांग प्रभारी पदाधिकारी, विधि शाखा की प्रभारी उपसमाहर्ता व जिला सूचना एवं जनसंपर्क पदाधिकारी का कार्यभार सौंप दिया गया है।
पढ़ाई के सामने देखा नहीं दिन रात..
बता दें कि सविता सिंह तीन बार बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सफल रही, लेकिन मुख्य परीक्षा में नहीं निकल सकी। जिसके बाद वह पढ़ाई में ऐसा रमी कि न उन्होंने दिन देखा न ही रात। उन्होंने अपनी तैयारी पूरी कर जेपीएससी की परीक्षा दे दी। जिसके बाद उनका चयन हो गया। वहीं सविता बताया कि पति पलामू में अल्ट्रासाउंट सेंटर चलाते हैं। उनके पिता शिक्षक हैं। वहीं दो भाई सेना में हैं। हालांकि घर की आर्थिक स्थिति ठीक है, मगर उनका सपना था कि वह कुछ ऐसा करेंगे कि परिवार का नाम रोशन करें और लोगों की सेवा कर सकें। अब उनका सपना पूरा हो रहा है। उनका कहा कि उनके जीवन का हर क्षण मूल्यवान है, उसका महत्व सभी समझें। वहीं शिक्षा की लौ ही जीवन में उजाला भरती है, इसलिए हर इंसान को शिक्षित होना अनिवार्य है। यही सफलता की कुंजी है। आपका जिस विषय में मन लगे, उसमें ही अपनी पूरी ऊर्जा लगाएं और अपने लक्ष्य को हासिल करें।