झारखंड: नए मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही मातृ-शिशु मृत्यु दर में आई कमी…..

स्वास्थ्य के क्षेत्र में झारखंड ने पिछले दो दशकों में बड़ा बदलाव देखा है. राज्य गठन के समय जो हालात थे, वे अब काफी बदल चुके हैं. केंद्र और राज्य सरकार के साथ-साथ स्वास्थ्य संस्थानों और आम नागरिकों के प्रयासों से राज्य ने स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी की दिशा में कदम बढ़ाए हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन लागू होने के बाद कई महत्वपूर्ण योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत हुई, जिनका सकारात्मक असर राज्य पर पड़ा.

मेडिकल कॉलेजों की संख्या में बढ़ोतरी

राज्य गठन से लेकर लगभग 18 वर्षों तक झारखंड में केवल तीन मेडिकल कॉलेज थे. इनमें सबसे प्रमुख रांची का राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) था, जिसकी स्थिति ठीक-ठाक थी. अन्य दो मेडिकल कॉलेजों में कभी नामांकन को लेकर समस्याएं थीं, तो कभी सीटों की कमी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस स्थिति में बड़ा सुधार हुआ है. अब झारखंड में पलामू, हजारीबाग और दुमका में नए मेडिकल कॉलेज खुल चुके हैं. देवघर में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना हुई है. इसके अलावा, कोडरमा, चाईबासा, बोकारो और रांची में भी मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं. निजी क्षेत्र में भी जमशेदपुर और पलामू में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं.

शिशु और मातृ स्वास्थ्य में सुधार

झारखंड ने शिशु और मातृ स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है. राज्य गठन के समय शिशु और मातृ मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत से अधिक थी, लेकिन अब यह स्थिति राष्ट्रीय औसत से बेहतर हो गई है. शिशु मृत्यु दर को कम करने के मामले में झारखंड ने सतत विकास लक्ष्य (SDG) को समय से पहले ही हासिल कर लिया है. 2015-16 के मुकाबले 2019-21 में नवजात और शिशु मृत्यु दर में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. प्रति हजार जन्मों पर नवजात मृत्यु दर 27 से घटकर 25 हो गई है. पांच वर्ष तक के बच्चों की मृत्यु दर 43.8 से घटकर 37.9 हो गई है.

अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की सबसे बड़ी कमी विशेषज्ञ चिकित्सकों और सुविधाओं का अभाव थी. छोटे-बड़े ऑपरेशनों के लिए मरीजों को रांची के रिम्स या अन्य बड़े अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन अब जिला और अनुमंडलीय अस्पतालों में मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर (ओटी) और अन्य अत्याधुनिक सुविधाएं बहाल की जा रही हैं. विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए निजी क्षेत्र के डॉक्टरों की सेवाएं भी ली जा रही हैं. रांची का सदर अस्पताल अब सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में विकसित हो चुका है. इसे एक मॉडल के रूप में अन्य जिलों के अस्पतालों में लागू करने की योजना चल रही है.

अस्पतालों की संख्या में वृद्धि

राज्य गठन के समय झारखंड में जिला अस्पतालों की संख्या 12 थी, जो अब बढ़कर 23 हो गई है. अनुमंडलीय अस्पतालों की संख्या 9 से बढ़कर 13 हो चुकी है. मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी 3 से बढ़कर 9 हो गई है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन और केंद्र-राज्य सरकारों के प्रयासों से झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था ने नई ऊंचाइयों को छुआ है. जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधाएं होने से रिम्स और अन्य बड़े अस्पतालों पर मरीजों का भार कम होगा.

आगे की योजनाएं

झारखंड सरकार की योजना है कि सभी जिला अस्पतालों को बेहतर तकनीक और सुविधाओं से लैस किया जाए. रांची सदर अस्पताल को सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में विकसित करने के बाद अन्य जिलों में भी इसे लागू किया जाएगा. इससे राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर और बेहतर होगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×