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वक्फ कानून संशोधन के विरोध को झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बताया जायज, कहा- लोकतांत्रिक विरोध का सबको हक़

रांची: वक्फ कानून में किए गए संशोधनों के विरोध में देशभर में चल रहे आंदोलनों को झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जायज ठहराया है। बोर्ड के सदस्य इबरार अहमद ने स्पष्ट किया कि लोकतंत्र में हर किसी को विरोध दर्ज कराने का अधिकार है, बशर्ते वह शांतिपूर्ण और सत्याग्रह के तरीके से किया जाए।

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इबरार अहमद ने कहा कि वक्फ कानून में बदलाव की ज़रूरत तो थी, लेकिन जिस तरह से संशोधन किए गए हैं, उससे वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शिता में कोई सुधार नहीं होगा, बल्कि स्थिति और भी बिगड़ सकती है। उन्होंने खास तौर पर संशोधित कानून में वक्फ की संपत्ति के अवैध रूप से बेचने पर अब सिर्फ 6 महीने की जमानती सज़ा का प्रावधान होने की आलोचना की। पहले इस अपराध के लिए 2 साल की सज़ा का प्रावधान था।

इबरार अहमद ने वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्ज़ों का ज़िक्र करते हुए कहा कि सुधार की आवश्यकता है, लेकिन सरकार द्वारा किए गए संशोधन इस समस्या को दूर करने में सक्षम नहीं हैं।

हिंसा और दंगों की कड़ी निंदा

वक्फ कानून संशोधन के विरोध में पश्चिम बंगाल सहित कई जगहों पर हुई हिंसक घटनाओं पर बोलते हुए इबरार अहमद ने कहा कि विरोध हो या समर्थन, किसी भी हालत में हिंसा या दंगा-फसाद उचित नहीं है। झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड ऐसे कृत्यों की कड़ी निंदा करता है। उन्होंने राजनीतिक बयानबाजी को भी असमय और अनुचित बताया।

वक्फ को लेकर फैल रही हैं गलतफहमियां

बोर्ड सदस्य ने कहा कि वक्फ को लेकर समाज में कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। यह धारणा कि वक्फ संस्था के पास देश की सबसे ज़्यादा संपत्ति है, ग़लत है। उन्होंने बताया कि वक्फ एक मुस्लिम संस्था नहीं, बल्कि सरकार द्वारा गठित संस्था है, जिस पर नियंत्रण भी सरकार का ही होता है।

उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज किया कि वक्फ किसी भी ज़मीन पर दावा करके उसे हथिया सकता है। इबरार अहमद ने कहा कि इस तरह की बातें जानबूझकर फैलाई जा रही हैं ताकि समाज में भ्रम और तनाव उत्पन्न किया जा सके।

वक्फ बोर्ड ने एक ओर जहां वक्फ कानून संशोधन में खामियों को उजागर किया, वहीं दूसरी ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील भी की है। लोकतंत्र में विरोध का अधिकार सभी को है, लेकिन यह शांति और मर्यादा के साथ होना चाहिए—यही झारखंड राज्य सुन्नी वक्फ बोर्ड का संदेश है।

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