राज्य सरकार द्वारा राजस्व संग्रहण बढ़ाने के लिए बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद, राजस्व वसूली के लक्ष्य को पूरा करना अफसरों के लिए चुनौती बना हुआ है. जनवरी 2025 तक, राज्य सरकार ने 30,374 करोड़ रुपए का राजस्व वसूला है, जो कि 49,700 करोड़ रुपए के कुल लक्ष्य का 61.11 प्रतिशत है. हालांकि, अगले दो महीनों में 38.89 प्रतिशत यानी करीब 19,326 करोड़ रुपए और वसूलने होंगे, ताकि लक्ष्य पूरा किया जा सके. चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान सरकार ने विभिन्न विभागों के माध्यम से कुल 49,700 करोड़ रुपए के राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया था. इनमें प्रमुख विभाग वाणिज्य कर, उत्पाद, खनन, परिवहन, भू-राजस्व और निबंधन शामिल हैं. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा लगातार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि राजस्व संग्रहण बढ़ाया जाए और नए स्रोतों की तलाश की जाए. राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा करना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि घोषित योजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधनों की जरूरत होगी. यदि इन विभागों द्वारा निर्धारित लक्ष्य पूरे नहीं होते, तो राज्य सरकार को विकास योजनाओं को लागू करने में कठिनाई हो सकती है. इस वर्ष के बजट में, राज्य सरकार ने 1 लाख 28 हजार 900 करोड़ का मूल बजट तय किया था, जिसमें से अब तक लगभग 58,000 करोड़ खर्च हो चुके हैं. विकास योजनाओं के लिए 82,830 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था, जिसमें से लगभग 56 प्रतिशत खर्च हो चुका है. इसके बावजूद पेयजल और अन्य जरूरी योजनाओं के लिए अब पैसे की कमी महसूस हो रही है.
विभिन्न विभागों द्वारा अब तक की गई वसूली इस प्रकार रही है:
• वाणिज्य कर विभाग ने 18,071 करोड़ रुपए वसूले हैं, जिसका लक्ष्य 26,000 करोड़ था.
• खान एवं भूतत्व विभाग ने 7,929 करोड़ रुपए वसूले हैं, जबकि लक्ष्य 15,500 करोड़ था.
• उत्पाद विभाग ने 8,201 करोड़ रुपए वसूले हैं, लक्ष्य 15,500 करोड़ था.
• परिवहन विभाग ने 7,299 करोड़ रुपए वसूले हैं, जबकि लक्ष्य 8,201 करोड़ था.
• भू-राजस्व विभाग ने 2,700 करोड़ रुपए वसूले हैं, लक्ष्य 7,299 करोड़ था.
• निबंधन विभाग ने 1,450 करोड़ रुपए वसूले हैं, लक्ष्य 1,700 करोड़ था.
हालांकि, बजट के इस बचे हिस्से को पूरा करने के लिए सरकार ने कुछ योजनाओं के लिए पैसा अतिरिक्त रूप से प्राप्त किया है, जैसे कि द्वितीय अनुपूरक बजट में पैसे का इंतजाम किया गया था. इसके साथ ही, राज्य सरकार ने वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए विशेष सचिव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है, जो वित्तीय योजनाओं पर नजर रखेगी और आवश्यक कदम उठाएगी. राज्य के वित्तीय हालात हालांकि अच्छे नहीं हैं, क्योंकि प्राप्त होने वाली धनराशि का अधिकांश हिस्सा राज्य के वेतन, पेंशन और ब्याज भुगतान में ही खर्च हो रहा है. इस कारण, राज्य सरकार के लिए विकास योजनाओं के लिए धन जुटाना और वित्तीय स्थिति को सुधारना चुनौतीपूर्ण हो गया है. केंद्रीय सहायता और उधारी से प्राप्त होने वाले पैसों पर अधिक निर्भरता बढ़ गई है. पिछले वित्त वर्ष में, राज्य सरकार का बजट 1 लाख 16 हजार 418 करोड़ था, जिसमें से 32,000 करोड़ रुपए वेतन, पेंशन और ब्याज अदायगी में खर्च हुए थे.