तेनुघाट डैम से पानी छोड़े जाने पर बंगाल में बाढ़ जैसी स्थिति और ममता बनर्जी के बयान के बाद झारखंड में राजनीतिक तनाव बढ़ गया है. सत्तासीन झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दोनों ने ममता के बयान पर आपत्ति जताई है.
ममता बनर्जी का बयान
ममता बनर्जी ने तेनुघाट डैम से पानी छोड़े जाने पर बंगाल में आई बाढ़ के लिए झारखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनके इस बयान ने झारखंड में राजनीतिक भूचाल मचा दिया है. भाजपा नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने ममता बनर्जी के पोस्ट पर हस्ताक्षर करते हुए कहा कि वे दीदी का सम्मान करते हैं, लेकिन ममता की इस धारणा को स्वीकार नहीं कर सकते कि झारखंड सरकार बंगाल में आई बाढ़ के लिए जिम्मेदार है.
राजनीतिक प्रतिक्रिया
सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने ममता के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. उन्होंने कहा कि 1952 से हमारे गांव मसानजोर डैम की वजह से डूबते आ रहे हैं, लेकिन सिंचाई का लाभ पश्चिम बंगाल को मिलता है. पंचेत और मैथन डैम से गांव झारखंड के डूबे और प्रदेश के कोयले से उत्पन्न बिजली का लाभ पश्चिम बंगाल के गांव-शहर को हो रहा है. उन्होंने पूछा, “झारखंड की पूरी तरह डूबा कर ही मानेगी क्या? दीदी को ऐसा वक्तव्य नहीं देना चाहिए था”.
सामूहिक सहयोग की आवश्यकता
भाजपा के नेताओं ने भी ममता के बयान की निंदा की और कहा कि दोनों सरकारों को लोगों की कठिनाइयों को कम करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए. हर वर्ष अरुणाचल और भूटान की पहाड़ियों से आने वाला पानी असम में बाढ़ का कारण बनता है, लेकिन हम अरुणाचल सरकार या भूटान सरकार को दोष नहीं देते. इसी तरह, झारखंड और बंगाल को भी मिलकर समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए.
तेनुघाट डैम और बाढ़ की स्थिति
तेनुघाट डैम से पानी छोड़े जाने के कारण बंगाल के कई जिलों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई है. कई गांव और फसलें डूब गई हैं, जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. बंगाल सरकार का कहना है कि झारखंड सरकार को बिना जानकारी दिए पानी छोड़ने की प्रक्रिया शुरू नहीं करनी चाहिए थी. वहीं, झारखंड सरकार का कहना है कि जल प्रबंधन की योजनाओं के अनुसार ही पानी छोड़ा गया है और इससे बाढ़ की स्थिति नहीं पैदा होनी चाहिए थी.
झारखंड के राजनीतिक दृष्टिकोण
झारखंड मुक्ति मोर्चा और भाजपा ने ममता के बयान को राजनीतिक लाभ के लिए भुनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को राजनीतिक मुद्दा बनाना गलत है और इससे लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं होगा. झारखंड के नेताओं ने यह भी कहा कि राज्य सरकारें मिलकर इस मुद्दे का समाधान निकालें ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके.