झारखंड पुलिस होगी हाईटेक: अनुसंधानकर्ताओं को मिलेंगे स्मार्ट फोन और डेटा भत्ता…..

झारखंड पुलिस विभाग हाईटेक बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. अब सभी अनुसंधानकर्ताओं को स्मार्ट फोन उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे वे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से साक्ष्य का संकलन कर सकें. इसमें वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी जैसी आधुनिक तकनीकें शामिल होंगी. सरकार की ओर से इन अनुसंधानकर्ताओं को डेटा के लिए प्रतिमाह 500 रुपये दिए जाएंगे.

स्मार्ट फोन से पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार

पुलिस अनुसंधान की कार्यप्रणाली को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है. गृह विभाग ने आदेश जारी कर दिया है और जिला स्तर पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. इस योजना के तहत सभी अनुसंधानकर्ताओं को स्मार्ट फोन दिए जाएंगे, जो नई तकनीक से लैस होंगे.

बीएनएसएस 2023 के प्रविधान के तहत होगा कार्य

यह योजना 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी और इसे भारतीय न्यायिक प्रणाली के बीएनएसएस 2023 प्रविधान के अनुसार लागू किया जा रहा है. इस प्रविधान के तहत सभी अनुसंधानकर्ता इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से साक्ष्य एकत्र करेंगे, जिससे जांच प्रक्रिया अधिक सटीक और विश्वसनीय हो सके. स्मार्ट फोन के जरिए अनुसंधानकर्ता घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कर सकेंगे, जिससे कोर्ट में प्रमाण प्रस्तुत करने की प्रक्रिया और भी मजबूत होगी.

स्मार्ट फोन की खरीद के लिए 25 हजार रुपये तक की राशि

सरकार की ओर से अनुसंधानकर्ताओं को 25 हजार रुपये तक का स्मार्ट फोन खरीदने के लिए राशि उपलब्ध कराई जाएगी. इस राशि से अधिक मूल्य का फोन खरीदने पर अतिरिक्त भुगतान स्वयं करना होगा. वहीं, यदि अनुसंधानकर्ता 25 हजार रुपये से कम कीमत का फोन खरीदते हैं, तो उन्हें वास्तविक कीमत की ही प्रतिपूर्ति मिलेगी. मोबाइल फोन क्रय करने के बाद अनुसंधानकर्ताओं को उसकी रसीद या विपत्र की छायाप्रति अपने पास रखनी होगी. यह दस्तावेज चार वर्षों के बाद नए मोबाइल की खरीद के समय क्षतिपूर्ति के लिए प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा.

डेटा सुरक्षा और मोबाइल की जिम्मेदारी

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्मार्ट फोन का रखरखाव, सुरक्षा और डाटा की गोपनीयता अनुसंधानकर्ता की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी. मोबाइल फोन से अविश्वसनीय इंटरनेट साइट्स को एक्सेस करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिससे साइबर सुरक्षा को खतरा न हो. इसके अलावा, मोबाइल फोन की तकनीकी आयु चार वर्ष निर्धारित की गई है. चार वर्षों के बाद अनुसंधानकर्ता को पुराना फोन जिला संपत्ति शाखा में जमा करना होगा और प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा.

चोरी या गुम होने पर कानूनी कार्रवाई

अगर कोई स्मार्ट फोन चोरी हो जाता है या गुम हो जाता है, तो अनुसंधानकर्ता को इसकी सूचना तुरंत देनी होगी. इस स्थिति में कानूनी प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

डिजिटल इंडिया को मिलेगा बढ़ावा

राज्य सरकार के इस कदम से डिजिटल इंडिया अभियान को भी मजबूती मिलेगी. कागजी प्रक्रिया से मुक्ति मिलने के साथ ही पुलिस का कार्यप्रवाह अधिक सुगम और पारदर्शी होगा. अनुसंधानकर्ता स्मार्ट फोन के माध्यम से तुरंत सूचनाएं और प्रमाण साझा कर सकेंगे, जिससे न्याय प्रणाली को भी लाभ होगा.

पुलिस अधीक्षक का बयान

पाकुड़ के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने कहा कि यह सरकार की एक अच्छी पहल है. अनुसंधानकर्ताओं को 25 हजार रुपये तक का स्मार्ट फोन खरीदना अनिवार्य होगा, जिसकी राशि सरकार द्वारा दी जाएगी. इस योजना पर तेजी से काम किया जा रहा है और जल्द ही इसे सभी जिलों में लागू कर दिया जाएगा.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×