अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी हड़ताल : सरकार ने दिया हड़तालियों के खिलाफ FIR कर बर्खास्तगी का निर्देश..

झारखंड में कोरोना प्रचंड रूप लेता जा रहा है, हर दिन बढ़ते आंकड़ें चिंता का विषय बनती जा रहा है|बुधवार को रिकॉर्ड 1060 कोरोना मरीज मिले तथा 3 लोगों की मौत हो गई| लेकिन इस सब के बीच सबसे बड़ी परेशानी है 10 हजार सेज्यादा अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाना|

गुरूवार को हड़ताल का दूसरा दिन रहा|मेडिकल कर्मियों के इस हड़ताल से राज्य के 24 जिलों के सदर अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं काफी प्रभावित हुई हैं। इन अस्पतालों में कोरोना जांच समेत ओपीडी सेवा, लेबर रूम सेवा, लैब सेवा, एक्सरे, ईसीजी आदि जांच कराने पहुंचे मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। आलम ये है कि कुछ मरीजों के परिजन उन्हें गोद में लेकर अस्पताल परिसर में घूमते दिखे।

हड़ताल पर गए कर्मचारियों के कारण राज्य में कोविड सैंपल जांच की संख्या में भी कमी आ गई| एक तरफ रोज़ाना जहां 8 हजार कोविड टेस्ट हो रहे थे वहीं बुधवार तो सिर्फ 5 हजार टेस्ट हो पाये| दरअसलकोरोना काल में सैंपलिंग प्रक्रिया से लकेर रिपोर्टिंग तक की जिम्मेदारी अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मी ही संभाल रहे हैं। हड़ताल पर गए कर्मियों में 750 लैब टेक्नीशियन शामिल हैं। ऐसे में अब राज्य में कोरोना की जांच प्रभावित हो रही है|

इस बीच अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियों द्वारा कोरोना काल में हड़ताल किए जाने परराज्य सरकार ने कड़ा रूख अख्तियार किया है| इस बाबत सभी जिलों के डीसी को निर्देश जारी कर हड़ताली कर्मचारियों पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ्य सचिव डॉ. नितिन कुलकर्णी ने कहा कि सभी डीसी को हड़ताली कर्मियों पर एफआईआर करते हुए उन्हें सेवा से बर्खास्त कर नई नियुक्ति करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में कर्मचारियों का हड़ताल जायज नहीं है। सरकार उनकी कई मांगों पर विचार कर रही है।

इस संबंध में गुरूवार को बोकारो उपायुक्त श्री राजेश सिंह ने सख्त आदेश जारी कर हड़ताल पर गए चिकित्साकर्मियों को 7 अगस्त तक काम पर लौटने को कहा है| उपायुक्त ने कहा कि बोकारो जिला अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत कार्यरत लैब टेक्नीशियन, एएनएम एवं जीएनएम जो हड़ताल पर गये हुए है वो सभी कर्मी 7 अगस्त 2020 तक अपने-अपने कार्यालय में योगदान देकर अपने कार्य दायित्व का निर्वहन करना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि संबंधित कर्मी, दी गई तारीख पर यदि अपने कार्यालय में योगदान नहीं देते हैं तो ऐसी परिस्थित में उनके विरुद्ध आपदा प्रवंधन अधिनियम की धारा 56, 57 एवं 65 के तहत सेवा बर्खास्त करने की कार्रवाई करने हेतु बाध्य होना पड़ेगा।

उधर झारखंड अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मी संघ का कहना है कि वो लोग डरने वाले नहीं है। 14 साल से वो सभी अपनी सेवा दे रहे हैं लेकिन सरकार उनकी हितों का कोई ध्यान नहीं रख रही है। कोरोना संक्रमण के दौरान चार कर्मचारियों की मौत हो गई, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। संघ के नवीन कुमार ने साफतौर पर कहा कि हड़ताल में राज्य भर के लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, एमओ आयुष आदि शामिल हैं। ऐसे में जब तक सरकार उन लोगों की मागें नहीं मानती, हड़ताल जारी रहेगी।

अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की मुख्य रूप से चार मांगे हैं जिसमें अनुबंधित पारा मेडिकल कर्मियों को स्थाई करने की मांग शामिल है। इसके साथ ही स्थाई होने तक समान काम समान वेतन लागू करें।ईपीएफ की कटौती की जाए और आउटसोर्सिंग कर्मियों के बकाए का भुगतान हो। तीसरी मांग है कि कोविड-19 में लगे कर्मियों को बिहार, हरियाणा और ओडिशा जैसा अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि मिले। वहीं चौथी मांग है कि अनुबंध कर्मियों की मौत पर वह सारे लाभ मिले, जो स्थाई कर्मचारी को मिलते हैं।

अनुबंधित पारा चिकित्साकर्मियों की मांगें अपनी जगह जायज़ हैं लेकिन सरकार और चिकित्साकर्मियों की खींचा-तानी के बीच आमलोग परेशान हो रहे हैं| ऊपर से कोरोना जिस तरह राज्य भर में पांव पसार रहा है ऐसे में ये हड़ताल ज्याद दिन चला तो फिर हालात बेहद बदतर हो जाएंगे| बरहाल अब देखना ये होगा कि सरकार के कड़े रूख के बाद भी ये कर्मचारी शुक्रवार को वापस काम पर लौटते हैं या नहीं|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×