पक्षी प्रेमी कैप्टन सुशील कुमार ने पहली बार झारखंड में रेन क्वेल के जोड़े को देखा और उनकी तस्वीर खींची. यह दृश्य धुर्वा के पास का है, जहां इस दुर्लभ पक्षी जोड़े ने अपना परिवार बसाया है.
कैप्टन सुशील कुमार की खोज
कैप्टन सुशील कुमार, जो पक्षियों के प्रति अपने प्रेम और उनकी खोज के लिए जाने जाते हैं, ने इस दुर्लभ जोड़े की तस्वीर खींची. उन्होंने बताया कि रेन क्वेल एक विशेष प्रकार का पक्षी है जो आमतौर पर यूरोप और एशिया में पाया जाता है, लेकिन झारखंड में इसे पहली बार देखा गया है. यह पक्षी अपनी अनूठी प्रवृत्तियों और सुंदरता के लिए जाना जाता है.
रेन क्वेल की विशेषताएं
रेन क्वेल, जिसे स्थानीय भाषा में ‘बटेर’ भी कहा जाता है, एक छोटा लेकिन बेहद खूबसूरत पक्षी है। नर और मादा पक्षी दोनों ही दिखने में बहुत आकर्षक होते हैं. मादा का रंग हल्का भूरा होता है जबकि नर का रंग अधिक चमकीला और आकर्षक होता है. यह पक्षी पौधों के बीज और कीड़ों के लार्वा खाते हैं.
कैप्टन सुशील कुमार का अनुभव
कैप्टन सुशील कुमार ने बताया कि इस पक्षी की खोज उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव रहा. उन्होंने कहा, “मैंने पहले कभी रेन क्वेल को इस क्षेत्र में नहीं देखा था. यह मेरे लिए एक अद्भुत खोज है और मैं इसे अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक मानता हूं”.
धुर्वा में रेन क्वेल का बसेरा
धुर्वा के जंगलों में इस जोड़े ने अपना बसेरा बनाया है. वहां पर इनके रहने के लिए अनुकूल वातावरण है और यह स्थान इनके प्रजनन के लिए भी उपयुक्त है. इस जोड़े के बसने से इस क्षेत्र में पक्षी प्रेमियों की रुचि और बढ़ गई है. वे यहां आकर इनकी गतिविधियों को देखने और अध्ययन करने के लिए उत्सुक हैं.
झारखंड में पक्षी प्रेमियों के लिए खुशी का मौका
झारखंड में पहली बार रेन क्वेल के जोड़े के दिखने से पक्षी प्रेमियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. राज्य के विभिन्न हिस्सों से पक्षी प्रेमी और शोधकर्ता धुर्वा पहुंच रहे हैं ताकि इस अद्भुत पक्षी जोड़े को देख सकें और उनकी तस्वीरें खींच सकें.
कैप्टन सुशील कुमार का संदेश
कैप्टन सुशील कुमार ने कहा, “हम सभी को प्रकृति और पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक होना चाहिए. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनके लिए अनुकूल वातावरण बनाएं और उन्हें सुरक्षित रखें. रेन क्वेल जैसे दुर्लभ पक्षियों का दिखना हमारे लिए एक संकेत है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं”.