राज्य के 12 जिलों में किसानों से धान खरीद में हो रही लेटलतीफी पर खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामले विभाग ने सख्त रुख अपनाया है. विभाग के संयुक्त सचिव दीपक कुमार ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखकर स्थिति सुधारने के निर्देश दिए हैं.
धान अधिप्राप्ति की धीमी प्रगति
देवघर, साहिबगंज, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम, दुमका, बोकारो, सरायकेला-खरसावां, पश्चिमी सिंहभूम और धनबाद जिलों में धान खरीद की स्थिति बेहद खराब है. धनबाद जिले की स्थिति सबसे चिंताजनक है. विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि 15 अप्रैल 2025 तक राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत 60 लाख क्विंटल धान खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन मौजूदा गति को देखते हुए लक्ष्य हासिल करना मुश्किल नजर आ रहा है.
2.40 लाख किसानों ने कराया रजिस्ट्रेशन
धान खरीद के लिए किसानों को ई-उपार्जन वेबसाइट पर पंजीकरण कराना होता है. अब तक 2,40,465 किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए धान खरीद की प्रक्रिया 15 दिसंबर से शुरू हुई थी. राज्यभर में 710 न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) केंद्र स्थापित किए गए हैं.
पांच जिलों की स्थिति बेहद खराब
पांच ऐसे जिले हैं जहां धान की खरीद 15% से भी कम हुई है. गढ़वा जिले ने इस दिशा में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 42% धान खरीद लिया है. वहीं, पूर्वी सिंहभूम में सबसे अधिक 6 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य तय किया गया है, लेकिन अब तक केवल 6.47% ही खरीद हो पाई है. कोडरमा में सबसे कम 1 लाख क्विंटल धान खरीद का लक्ष्य है, जहां 25% खरीद हो चुकी है.
किसानों की समस्या और विभाग की चिंता
विभाग ने किसानों की समस्याओं पर भी गौर किया है. बिजली और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते कई जिलों में किसान अपना धान बेचने में असमर्थ हैं. विभाग ने उपायुक्तों को इन समस्याओं का तत्काल समाधान निकालने का निर्देश दिया है.
अधिकारियों को सख्त निर्देश
संयुक्त सचिव दीपक कुमार ने कहा है कि यदि मौजूदा स्थिति में सुधार नहीं होता, तो निर्धारित समय सीमा तक लक्ष्य को प्राप्त करना असंभव होगा. उन्होंने सभी जिलों के अधिकारियों को तेजी से कार्रवाई करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं.