रांची: झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अब बिहार की सियासी जमीन पर भी पैर जमाने की तैयारी में है। पार्टी ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है और खासतौर पर उन क्षेत्रों पर फोकस कर रही है जो झारखंड से सटे हुए हैं और जहां झारखंडी संस्कृति, भाषा और आदिवासी पहचान की झलक मिलती है।
सूत्रों के अनुसार, झामुमो बिहार की करीब 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है। पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में उसका सामाजिक आधार मजबूत है और लोगों के बीच झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की लोकप्रियता भी असर डालेगी। पार्टी इन इलाकों में संगठनात्मक ढांचा मजबूत कर रही है और कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया जा रहा है।
हाल ही में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें बिहार चुनाव की रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक में यह तय किया गया कि सीमावर्ती इलाकों में हेमंत सोरेन की जनसभाएं कराई जाएंगी ताकि लोगों को पार्टी की नीतियों और झारखंड सरकार की योजनाओं के प्रति जागरूक किया जा सके। माना जा रहा है कि झामुमो उन मतदाताओं को साधने की कोशिश में है जो झारखंड सरकार से प्रभावित हैं और सामाजिक व सांस्कृतिक रूप से झारखंड से जुड़े हुए हैं।
इसके साथ ही झामुमो की नजर महागठबंधन में जगह बनाने पर भी है। राजद के साथ सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत जारी है। अगर यह गठबंधन तय हो जाता है तो झामुमो को बिहार की राजनीति में एक अहम स्थान मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि झामुमो का यह कदम केवल चुनावी विस्तार नहीं, बल्कि आदिवासी और झारखंडी पहचान को राज्य की सीमाओं के पार तक फैलाने की कोशिश है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि राजद और झामुमो के बीच सीटों का बंटवारा कैसे होता है और यह साझेदारी बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है।