झारखंड शराब घोटाला: IAS विनय चौबे की संपत्ति की जांच शुरू, ACB के रडार पर करोड़ों की जालसाजी…..

झारखंड में सामने आए बड़े शराब घोटाले में अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच तेज हो गई है. इस घोटाले में राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया गया है. ACB ने हाल ही में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व प्रधान सचिव व झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के पूर्व प्रबंध निदेशक आईएएस विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इन दोनों अधिकारियों पर पद का दुरुपयोग कर प्लेसमेंट एजेंसियों को अनुचित लाभ पहुंचाने और राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने का गंभीर आरोप है.

संपत्ति की जांच में जुटी ACB

गिरफ्तारी के बाद अब ACB की टीम इन अधिकारियों की चल-अचल संपत्तियों की जांच में जुट गई है. अधिकारियों की बैंक अकाउंट, निवेश, अघोषित संपत्तियां और अन्य आर्थिक स्रोतों की गहनता से पड़ताल की जा रही है. ACB का मकसद यह जानना है कि किस तरह से इन अधिकारियों ने जालसाजी से पैसा अर्जित किया और किसे-कितना हिस्सा मिला. ACB के शुरुआती छानबीन में यह जानकारी मिली है कि विभाग में तैनाती के दौरान इन अधिकारियों ने प्लेसमेंट एजेंसियों के साथ मिलकर फर्जीवाड़ा किया. जिन एजेंसियों को फायदा पहुंचाया गया, उनमें से कई को बाद में नियम उल्लंघन करने के कारण ब्लैकलिस्ट कर दिया गया.

घोटाले की रकम 1 अरब तक पहुंचने की संभावना

हालांकि ACB की जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि यह घोटाला 38 करोड़ रुपये से कहीं ज्यादा, करीब 1 अरब रुपये तक का हो सकता है. अधिकारियों ने विभागीय प्रक्रिया और नियमों को ताक पर रखकर एजेंसियों के चयन में भारी गड़बड़ी की. ACB अब इस बात की जांच कर रही है कि जाली बैंक गारंटी, फर्जी कागजात और भ्रष्ट तरीके से कैसे करोड़ों की राशि का गबन हुआ.

फर्जी बैंक गारंटी और जमा न की गई बिक्री राशि

जांच में पता चला है कि कोलकाता की एक एजेंसी ने बंधन बैंक की फर्जी गारंटी दी थी, जिसकी जानकारी बैंक ने विभाग को 2 मार्च 2024 को ही दे दी थी. इसके बावजूद विभाग ने न तो एजेंसी को ब्लैकलिस्ट किया और न ही प्राथमिकी दर्ज की. इतना ही नहीं, प्लेसमेंट एजेंसियों पर शराब बिक्री की करीब 25 करोड़ रुपये की राशि विभाग में जमा न करने का भी आरोप है.

पुराने घोटालों की भी परतें खुलीं

ACB की जांच में यह भी सामने आया है कि आईएएस विनय चौबे के कार्यकाल के दौरान ही छत्तीसगढ़ की कई प्लेसमेंट एजेंसियों और होलोग्राम आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने विभाग को चूना लगाया था. इनमें सुमित फैसिलिटीज, इगल हंटर सॉल्यूशंस, ए-टू-जेड इंफ्रा सर्विसेज, और प्राइम वन जैसी एजेंसियां शामिल हैं. इन एजेंसियों ने भी शराब बिक्री की राशि जमा नहीं की थी, जिसके बाद विभाग ने 48 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जब्त कर सभी को ब्लैकलिस्ट कर दिया था. इसके अलावा, प्रिज्म नामक कंपनी द्वारा फर्जी होलोग्राम सप्लाई किए जाने का मामला भी सामने आया था. इसे भी विभाग ने बाद में ब्लैकलिस्ट किया और ठेका रद्द कर दिया. लेकिन मामला यहीं नहीं रुका. इसके बाद जीडीएक्स और आरके सॉल्यूशंस नामक एजेंसियों ने भी इसी तरह का घोटाला दोहराया और बाद में ब्लैकलिस्ट कर दी गईं.

CBI और ED को भी मिल सकती है जांच में मदद

ACB की इस जांच से CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को भी मदद मिलने की संभावना है. चूंकि मामला आर्थिक अपराध और सरकारी धन के दुरुपयोग से जुड़ा है, इसलिए आगे चलकर इसमें और केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका भी देखी जा सकती है. अगर घोटाले की रकम 100 करोड़ से ऊपर जाती है, तो मामला सीधे ED और CBI के दायरे में आ सकता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×