झारखंड शराब घोटाला: दो दिन की ACB रिमांड पर रहेंगे IAS विनय चौबे और गजेंद्र सिंह…..

झारखंड के बहुचर्चित शराब घोटाले में अब जांच की रफ्तार तेज होती जा रही है. इस मामले में राज्य के दो बड़े अधिकारी—IAS विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह—अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की रिमांड पर रहेंगे. रांची स्थित विशेष अदालत ने दोनों अधिकारियों को दो दिन की ACB रिमांड पर भेजने की अनुमति दे दी है. ACB ने अदालत से सात दिनों की रिमांड मांगी थी, लेकिन अदालत ने फिलहाल दो दिनों की ही मंजूरी दी है. रिमांड गुरुवार की सुबह 10 बजे से शुरू होगी और शनिवार सुबह 10 बजे तक चलेगी. इसके बाद दोनों अधिकारियों को दोबारा कोर्ट में पेश किया जाएगा.

क्या है मामला?

यह घोटाला राज्य सरकार के उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग से जुड़ा हुआ है. आरोप है कि जब IAS विनय कुमार चौबे इस विभाग के प्रधान सचिव और झारखंड स्टेट बेवरेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के महाप्रबंधक थे, तब उन्होंने और संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह ने मिलकर नियमों को ताक पर रखकर ठेका देने में भारी गड़बड़ी की. जांच एजेंसी ACB के मुताबिक, दोनों अधिकारियों ने जानबूझकर दो अयोग्य प्लेसमेंट एजेंसियों को शराब की आपूर्ति और प्रबंधन का ठेका दिया. इससे सरकार को करीब 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. एजेंसियों का चयन पूरी तरह से नियमों के खिलाफ किया गया, और इसमें गड़बड़ी की पूरी साजिश पहले से ही रची गई थी.

ACB की दलील और अदालत का रुख

ACB ने अदालत से कहा कि अभी घोटाले से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करनी बाकी हैं, जिसके लिए रिमांड बेहद जरूरी है. एजेंसी का कहना है कि अधिकारियों ने अपने पद का दुरुपयोग कर न सिर्फ सरकारी तंत्र को नुकसान पहुंचाया, बल्कि अवैध कमाई और भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा दिया. वहीं, IAS विनय चौबे के अधिवक्ता ने रिमांड का विरोध किया और कहा कि अधिकारी पहले से ही न्यायिक हिरासत में हैं और रिमांड की जरूरत नहीं है. लेकिन अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दो दिन की रिमांड की अनुमति दे दी.

रिमांड में क्या पूछेगा ACB?

अब जब ACB को दो दिन की पूछताछ की छूट मिल गई है, तो वह घोटाले से जुड़े उन पहलुओं की तह तक जाने की कोशिश करेगा जो अब तक सामने नहीं आए हैं. ACB की योजना है कि वह यह समझे कि अधिकारियों ने किस तरह से विभागीय प्रक्रिया को तोड़ा, किन-किन स्तरों पर भ्रष्टाचार हुआ और कितने लोगों को इससे लाभ पहुंचाया गया. इसके अलावा यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि ठेके की प्रक्रिया में किन अन्य अधिकारियों या कर्मचारियों की भूमिका रही, कमीशन के तौर पर किस-किस ने कितना पैसा लिया और यह पैसा किन-किन माध्यमों से एक-दूसरे तक पहुंचा.

कब हुई गिरफ्तारी?

ACB ने 20 मई को दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद से ही दोनों न्यायिक हिरासत में हैं. गिरफ्तारी के बाद ACB ने इनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की और जांच की प्रक्रिया शुरू की.

क्या है अब तक की सबसे बड़ी बात?

इस घोटाले की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें राज्य के ऊंचे स्तर के अधिकारी सीधे तौर पर शामिल हैं. एक IAS अधिकारी और विभाग के संयुक्त आयुक्त जैसे उच्च पदों पर बैठे लोगों पर गंभीर आरोप लगे हैं. इससे प्रशासनिक ईमानदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं. अगर ACB की जांच में और बड़े नाम सामने आते हैं, तो यह घोटाला और भी गंभीर रूप ले सकता है.

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