झारखंड: छात्रवृत्ति और राशन योजनाओं में देरी से लाखों लोग परेशान…..

झारखंड में छात्रों और गरीबों के लिए बनाई गई दो अहम योजनाएं—छात्रवृत्ति योजना और ग्रीन राशन कार्ड योजना—अपने उद्देश्य से कोसों दूर हैं. एक तरफ एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के 34 लाख छात्रों को पिछले नौ महीने से छात्रवृत्ति नहीं मिली है, तो दूसरी ओर 20 लाख ग्रीन राशन कार्ड धारकों को सात महीने से राशन का इंतजार है.

छात्रवृत्ति में देरी का हाल

झारखंड में 35 लाख बच्चों को छात्रवृत्ति योजना का लाभ मिलना था, लेकिन अब तक केवल 1 लाख बच्चों के खातों में ही राशि भेजी गई है. छात्रों की सूची तैयार करने से लेकर धनराशि हस्तांतरण तक की प्रक्रिया ई-कल्याण पोर्टल के माध्यम से होती है. हेडमास्टर स्कूल स्तर पर सूची बनाते हैं, जिसे जिला स्तर पर अपलोड किया जाता है. इसके बाद जिला कल्याण पदाधिकारी द्वारा आवेदन की जांच के बाद राशि सीधे बच्चों के खातों में भेजी जाती है.

राज्य सरकार की योजना के तहत:

• पहली से पांचवीं कक्षा: सालाना 1500 रुपए

• छठी से आठवीं कक्षा: सालाना 2500 रुपए

• नौवीं और दसवीं कक्षा: सालाना 4500 रुपए

वित्तीय व्यवस्था:

• पहली से आठवीं तक के छात्रों के लिए 495 करोड़ रुपए राज्य सरकार प्रदान करती है.

• नौवीं और दसवीं के छात्रों के लिए 95 करोड़ राज्य सरकार और 150 करोड़ केंद्र सरकार से मिलते हैं.

• छात्रवृत्ति में देरी का मुख्य कारण ई-कल्याण पोर्टल का देर से शुरू होना बताया जा रहा है. 2022-23 में यह पोर्टल शुरू हुआ, लेकिन सत्र 2023-24 में भी वितरण में देरी हुई. सत्र 2024-25 की प्रक्रिया अक्टूबर 2024 में शुरू हुई, लेकिन अब तक सभी जिलों का वेरिफिकेशन पूरा नहीं हुआ है.

सरकार की प्रतिक्रिया:

कल्याण आयुक्त अजय नाथ झा ने भरोसा दिलाया है कि फरवरी 2024 तक सभी बच्चों के खातों में राशि भेज दी जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के पास पैसों की कोई कमी नहीं है.

ग्रीन राशन कार्ड धारकों की समस्या

झारखंड के 20 लाख ग्रीन राशन कार्ड धारकों को मार्च से सितंबर तक का राशन अब तक नहीं मिला है. हालांकि, अक्टूबर महीने का अनाज वितरण कर दिया गया है. राज्य सरकार ने बैकलॉग खत्म करने की कोशिश की है, लेकिन फरवरी 2024 से पहले इसे पूरा करना मुश्किल लग रहा है.

कमी की वजह:

• झारखंड के कई जिले पिछले साल सूखे की चपेट में थे, जिससे धान की पैदावार प्रभावित हुई.

• सरकार ने 6 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य रखा, लेकिन केवल 1.70 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जा सका.

• फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) से अनाज लेने की कोशिश भी असफल रही.

• लोकसभा और विधानसभा चुनावों के चलते टेंडर प्रक्रिया भी समय पर पूरी नहीं हो सकी.

योजना का क्रियान्वयन:

• ग्रीन राशन कार्ड धारकों को राज्य सरकार अपने खर्च पर राशन उपलब्ध कराती है.

• हर लाभार्थी को 1 रुपए की दर से प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज दिया जाता है.

• जनवरी 2021 में शुरू हुई राज्य खाद्य सुरक्षा योजना के तहत शुरुआत में 15 लाख लाभार्थियों को शामिल किया गया था. अब यह संख्या 20 लाख हो चुकी है.

सरकार की कार्ययोजना:

खाद्य आपूर्ति विभाग ने बैकलॉग खत्म करने के लिए हर महीने तीन महीने का बकाया राशन देने पर विचार किया है. हालांकि, अभी इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है. विभागीय मंत्री उमाशंकर सिंह ने कहा कि बैकलॉग खत्म करने के लिए एक कार्ययोजना तैयार की गई है और इसकी हर महीने समीक्षा की जा रही है.

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