झारखंड की कंचन उगुरसंडी ने एक अद्वितीय उपलब्धि हासिल कर इतिहास रच दिया है. महज 25 दिन में 18 पर्वतीय दर्रों को पार कर वह पहली महिला बाइकर बन गई हैं, जिन्होंने लिपुलेख पास भी पार किया. उनके इस उपलब्धि पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने उन्हें बधाई दी है. आइए जानते हैं कंचन की अद्भुत यात्रा और उपलब्धियों के बारे में.
लिपुलेख पास पर बाइक चलाने वाली पहली महिला
कंचन उगुरसंडी, जो झारखंड के सरायकेला से हैं, ने 17,500 फुट की ऊँचाई पर स्थित लिपुलेख पास को पार करने वाली पहली महिला मोटरसाइकिलिस्ट बनकर नया मुकाम हासिल किया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर लिखा कि उत्तराखंड उनके लिए एक तरह से दूसरा घर है और यहाँ के लोग अत्यंत विनम्र हैं. उन्होंने उत्तराखंड को देवभूमि बताते हुए कहा कि यह स्थान पर्यटकों के लिए सबसे सुरक्षित है.
पिथौरागढ़ में हुआ सम्मान
लिपुलेख पास को पार करने के बाद, कंचन का सम्मान उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में होटल प्लाजा में किया गया. होटल एसोसिएशन ऑफ पिथौरागढ़ के राजेंद्र भट्ट ने उन्हें सम्मानित किया. कंचन ने उत्तराखंड के लोगों से मिले समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि यह यात्रा उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रही.
चंपाई सोरेन का समर्थन
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कंचन की इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यह उनके गृह जिले से आने वाली झारखंड की बेटी के लिए गर्व का विषय है. उन्होंने कंचन को बधाई देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की. चंपाई सोरेन ने इस अवसर पर सभी माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपनी बेटियों को शिक्षा दें और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करें, ताकि वे भी कल्पना चावला और सलीमा टेटे की तरह देश का नाम रोशन कर सकें.
18 पर्वतीय दर्रों का सफर
कंचन उगुरसंडी ने 2021 में देश की 18 सबसे ऊँची चोटियों को भी बाइक से पार किया था. तब उन्होंने अपनी इस उपलब्धि को बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) के कर्मयोगियों को समर्पित किया था. इस यात्रा के दौरान उन्होंने दिल्ली से लेह-लद्दाख होते हुए रोहतांग और उमलिंगला पास को भी पार किया. कंचन ने इस कठिन यात्रा को अकेले ही पूरा किया, जिसमें लगभग 3200 किलोमीटर की यात्रा शामिल थी.
मोटरसाइकिलिंग के प्रति कंचन का समर्पण
कंचन का मानना है कि इस तरह की चुनौतियों का सामना करना संभव है, भले ही यह आसान न हो. उनके इस साहसिक सफर ने यह साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं. उन्होंने अपनी यात्रा के दौरान कई बाधाओं का सामना किया और हर बार नई ऊँचाई को छूने का हौसला दिखाया.
कंचन का संदेश
कंचन ने अपनी उपलब्धियों के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अगर कोई ठान ले, तो कुछ भी संभव है. उनकी यात्रा ने न केवल उन्हें व्यक्तिगत रूप से मजबूत बनाया है, बल्कि उन्होंने यह भी दिखाया है कि महिलाएं सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकती हैं. उनके प्रयासों ने समाज में बदलाव लाने का भी काम किया है, जिसमें अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया गया है कि वे अपने सपनों का पीछा करें.