रांची : झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को राज्य में कंडम (अनफिट) एंबुलेंस चलाए जाने के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस संबंध में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 27 अगस्त को तय की गई है।
हाई कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट पर लिया संज्ञान
यह मामला मीडिया रिपोर्ट के आधार पर सामने आया। रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य की सड़कों पर वर्तमान में 436 एंबुलेंस ही चल रही हैं, जिनमें से अधिकांश कंडम हो चुकी हैं। कई गाड़ियां एमवीआई नियमों (Motor Vehicle Inspection Rules) का उल्लंघन करते हुए मरीजों को ढो रही हैं।
लाखों किमी दौड़ चुकी पुरानी एंबुलेंस
मिली जानकारी के अनुसार, राज्य में 2015-16 में खरीदी गई 337 एंबुलेंस अब तक चार से पांच लाख किमी तक दौड़ चुकी हैं। तकनीकी रूप से इनकी उम्र समाप्त हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके इन्हें अभी भी मरीजों की सेवा में लगाया जा रहा है।
एडवांस लाइफ सपोर्ट (ALS) सुविधा का अभाव
सेवा की शुरुआत के समय दावा किया गया था कि झारखंड में बड़ी संख्या में एडवांस लाइफ सपोर्ट (ALS) एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएंगी। इनका उद्देश्य था सड़क हादसे और गंभीर मरीजों को “गोल्डन आवर” में अस्पताल तक पहुंचाना। लेकिन हकीकत यह है कि वर्तमान समय में राज्य की एंबुलेंसों में ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
समिति ने भी घोषित किया था “अनफिट”
पूर्व में कई एंबुलेंसों को कंडम घोषित कर दिया गया था। उनकी मरम्मत के लिए उपायुक्त की निगरानी में तीन सदस्यीय समिति बनाई गई थी। समिति ने निरीक्षण कर कई वाहनों को “अनफिट” घोषित किया, बावजूद इसके ये एंबुलेंस अब भी सड़कों पर दौड़ा रही हैं।
मरीजों की सांसें अटकीं
इन जर्जर एंबुलेंसों में रोजाना हजारों मरीज सफर करने को मजबूर हैं। कई बार तकनीकी खराबी के कारण बीच रास्ते में गाड़ी बंद हो जाने जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। मरीजों की जान जोखिम में पड़ रही है और परिजन अस्पताल समय पर नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
अब हाई कोर्ट की सख्ती से यह उम्मीद जगी है कि राज्य सरकार एंबुलेंस सेवा की वास्तविक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगी और आम जनता को राहत मिलेगी।