झारखंड उच्च न्यायालय ने जमीन अतिक्रमण मामले पर अधिकारियों को लगाई फटकार..

रांची : झारखंड उच्च न्यायालय ने जमीन अतिक्रमण मामले पर दर्ज याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दायरान उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी भी जताई है। मुख्य न्यायाधीश डॉ रविरंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए नदियों और तालाबों के किनारे हो रहे अवैध निर्माण को तत्काल रोकने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि जब अवैध निर्माण हटा नहीं सकते, अवैध निर्माण को रोक नहीं सकते, तो ऐसे में अधिकारियों को कुर्सी पर बैठने का कोई हक नहीं है। नदियों के किनारे के अतिक्रमण को हर हाल में हटाना होगा। खंडपीठ ने कहा कि नदियों और जलस्रोतों की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया। अतिक्रमण से रांची की प्राकृतिक सुंदरता व जलवायु नष्ट होती जा रही है। खंडपीठ ने कहा कि कांके डैम, धुर्वा डैम और गेतलसूद डैम की जमीन का सीमांकन करेंगे, तो अतिक्रमण अपने आप सामने आ जाएगा। इसके साथ ही खंडपीठ ने सरकारी और पब्लिक लैंड के अतिक्रमण पर कहा कि कार्रवाई में विलंब नहीं किया जाए। आदेश पारित करें और उसका अनुपालन कराएं। कोरोना संक्रमण का बहाना नहीं चलेगा।

मुख्य न्यायाधीश ने नगर आयुक्त से कहा कि हमलोग रांची शहर का भ्रमण करते हैं। यदि आप साथ में चलते हैं, तो अवैध निर्माण की पोल खुल जाएगी। जिससे अतिक्रमण सामने आ जाएगा। यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं कर सकता है, तो न्यायालय अधिवक्ताओं की समिति बना कर जांच करा सकता है। इसके साथ ही खंडपीठ ने नगर विकास सचिव, पेयजल व स्वच्छता सचिव, उपायुक्त, नगर आयुक्त को अगली सुनवाई के दौरान वर्चुअल उपस्थित रहने का निर्देश दिया। साथ ही राज्य सरकार से जवाब मांगा है और ये बताने का निर्देश दिया है कि कितना अतिक्रमण हटाया गया और कितना अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा। खंडपीठ ने उक्त निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। इससे पहले वर्चुअल तरीके से उपस्थित नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे ने खंडपीठ को बताया कि ग्रीन लैंड, नदियों की जमीन पर बने निर्माण के खिलाफ अभियान चलाया जाएगा। जिसमें रांची, धनबाद और जमशेदपुर बड़े शहर शामिल हैं। यहां बड़े पैमाने पर पाैधरोपण कर शहर को हरा-भरा बनाने पर काम चल रहा है। नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने खंडपीठ को बताया कि आठ कनीय अभियंता और 30 सदस्यीय प्रवर्तन दल बना कर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाएगा। कई अतिक्रमण हटाया जा चुका हैं। मानव संसाधन की कमी आ रही है।

उपायुक्त छवि रंजन ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए फोर्स मांगा गया था, लेकिन वह समय पर नहीं मिल पाया। इस पर एसपी ने खंडपीठ को बताया कि लॉकडाउन के समय पुलिस दूसरी जगहों पर लगी थी। राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार ने पक्ष रखते हुए बताया कि हिनू नदी के किनारे कोई भी गैरमजरूआ जमीन का किसी का उपनिवेश नहीं किया गया है। नदियों की जमीन का उपनिवेश नहीं हो सकता है। वहीं रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पक्ष रखा।

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