झारखंड में अभी तक जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन की खरीदारी नहीं होने पर आज हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इस मामले पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा- ‘ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता में स्वास्थ्य नहीं है। जब पूरे राज्य में ओमिक्रॉन फैल जाएगा इसके बाद मशीन की खरीदारी होगी।’ उन्होंने कहा कि जब लोग श्मशान तक पहुंचने लगेंगे तब सरकार जागेगी क्या? सरकार को हर काम के लिए कोर्ट के आदेश का इंतजार क्यों करती है। जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन नहीं है तो ओमिक्रॉन का पता कैसे चलेगा? आखिर किस आधार पर इलाज किया जाएगा? आखिर सरकार अब तक सोई क्यों है?
इस माह के अंत तक आ जाएगी मशीन..
अदालत को बताया गया कि 29 दिसंबर को मशीन का ऑर्डर कर दिया गया है। मशीन के आने में 45 दिनों का समय लगता है, लेकिन इस माह के अंत तक मशीन आ जाएगी और स्थापित कर दिया जाएगा। अभी सैंपल जांच के लिए भुवनेश्वर भेजे जा रहे हैं। वहां से एक भी सैंपल की रिपोर्ट में ओमिक्रॉन की पुष्टि नहीं हुई है।
28 जनवरी तक सरकार से मांगी रिपोर्ट..
एक साल से अदालत सरकार को सभी व्यवस्था करने को कह रही है, लेकिन कोर्ट के आदेश का गंभीरता से नहीं लिया जा रहा। अदालत ने राज्य में पीएसए प्लांटों की स्थिति, रिम्स के जन औषधि केंद्र और अन्य इंतजामों पर 28 जनवरी तक सरकार और रिम्स से विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।