झारखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को सुनाए गए अपने फैसले में जेपीएससी की छठवीं संयुक्त असैनिक सेवा प्रतियोगिता परीक्षा–2016 के अंतिम परिणाम के अंतर्गत जारी मेरिट लिस्ट को अवैध बताते हुए रद्द कर दिया है। कोर्ट ने 8 सप्ताह में नई मेरिट लिस्ट जारी कर सरकार के पास फिर से अनुशंसा के लिए भेजने तथा 4 सप्ताह में नई मेरिट लिस्ट के आधार पर कैडर आवंटित करने का निर्देश दिया है। इससे कई अधिकारियों के कैडर बदलने की भी संभावना है।
मेरिट लिस्ट तैयार करने में पेपर-1 के अंग्रेजी व हिंदी के क्वालीफाइंग मार्क्स को भी जोड़ दिया गया था, जबकि जेपीएससी के नियमों में क्वालीफाइंग मार्क्स जोड़ने का प्रावधान नहीं है। जेपीसीसी ने 23 अप्रैल 2020 को 326 अभ्यर्थियों को सफल घोषित करते हुए मेरिट लिस्ट सरकार को भेज दी थी। नई मेरिट लिस्ट का निर्माण क्वालीफाइंग मार्क्स को बिना जोड़े किया जाएगा। मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंक पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
परीक्षा के अंतिम परिणाम को अलग-अलग कारणों से चुनौती देते हुए 16 याचिकाएं दायर की गई थीं। किसी में उम्र सीमा में निर्धारण को चुनौती दी गई थी तो किसी में मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर या किसी में आरक्षण के नियमों का पालन न होने को लेकर। अदालत ने मेरिट लिस्ट में गड़बड़ी की बात को सही मानते हुए इन याचिकाओं पर तीन से 17 फरवरी तक सुनवाई की। इस दौरान न्यायालय ने जब तक मामले की सुनवाई पूरी न हो जाए तब तक मुख्य परीक्षा की सभी उत्तरपुस्तिकाएँ सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। 17 फरवरी को अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया व सोमवार 7 जून को जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी गड़बड़ी के जिम्मेवार लोगों की जवाबदेही तय कर उन पर कार्यवाही की जाए।
जेपीएससी परीक्षा के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे अभ्यर्थी अनिल पन्ना ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे छात्रों की जीत बताया और कहा कि आने वाले समय में छठी जेपीएससी परीक्षा की पूरी प्रक्रिया को भी रद्द करने का काम किया जाएगा।