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झारखंड: पंचायत स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को मिलेगी मजबूती…..

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को पंचायत स्तर तक मजबूत करने की दिशा में राज्य सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है. राज्य सरकार ने विभिन्न पंचायतों में 1,117 नए स्वास्थ्य उपकेंद्रों के निर्माण को मंजूरी दे दी है. इन सभी केंद्रों का निर्माण 15वें वित्त आयोग के तहत किया जाएगा. इसके लिए सरकार की ओर से कुल 619 करोड़ 93 लाख 50 हजार रुपये स्वीकृत किए गए हैं. प्रत्येक उपकेंद्र की निर्माण लागत 55.50 लाख रुपये निर्धारित की गई है.

क्या है योजना की खास बातें?

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, इस योजना का उद्देश्य राज्य के उन पंचायतों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाना है, जहां अभी तक कोई भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अजय कुमार सिंह ने योजना की आधिकारिक स्वीकृति जारी कर दी है. राज्य स्तरीय समिति की बैठक 8 अप्रैल 2025 को हुई थी, जिसमें इस प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी.

किन वर्षों में होगा निर्माण?

योजना के अनुसार, यह निर्माण कार्य वित्तीय वर्ष 2024-25 और 2025-26 में किया जाएगा. यानी दो वर्षों में सभी 1,117 स्वास्थ्य उपकेंद्रों का निर्माण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. ये केंद्र ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे और गांव के लोगों को छोटी बीमारियों के लिए दूर के अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा.

वर्तमान में कितनी पंचायतों में हैं स्वास्थ्य सेवाएं?

झारखंड राज्य में कुल 4,345 पंचायतें हैं. इनमें से अभी तक 2,931 पंचायतों में ही स्वास्थ्य उपकेंद्र मौजूद हैं. इसके अलावा, 167 पंचायतों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), या अनुमंडल अस्पताल हैं. इसका मतलब है कि अभी भी राज्य की लगभग 949 पंचायतें ऐसी हैं जहां किसी भी तरह का स्वास्थ्य केंद्र नहीं है.

कहां मिली जानकारी?

इसकी जानकारी स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक प्रमुख ने दी थी. उन्होंने विभाग को रिपोर्ट सौंपते हुए बताया कि राज्य की 949 पंचायतें अब भी ऐसी हैं जहां कोई भी स्वास्थ्य केंद्र मौजूद नहीं है. इसी आधार पर यह प्रस्ताव तैयार किया गया और वित्त आयोग से इसे मंजूरी मिली.

1095 + 22 = 1117 उपकेंद्र क्यों?

इस योजना के तहत पहले 1,095 उपकेंद्रों के निर्माण को मंजूरी दी गई थी, लेकिन बाद में अतिरिक्त रूप से 22 और उपकेंद्रों को शामिल किया गया. इस तरह कुल 1,117 उपकेंद्रों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है.

योजना से क्या होगा लाभ?

1. स्वास्थ्य सेवाएं गांव-गांव तक पहुंचेंगी – जिन इलाकों में अब तक कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं था, वहां पर लोगों को बीमारियों के इलाज के लिए शहरों का रुख करना पड़ता था. अब वे अपने ही पंचायत में प्राथमिक इलाज करवा सकेंगे.

2. गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को फायदा – उपकेंद्रों में प्रसवपूर्व जांच, टीकाकरण, सामान्य दवाइयों और स्वास्थ्य जांच की सुविधा मिलेगी, जिससे ग्रामीण महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार होगा.

3. रोजगार के अवसर – नए उपकेंद्रों के निर्माण से स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति भी की जाएगी जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे.

4. स्वास्थ्य सेवाओं का विकेंद्रीकरण – इस कदम से बड़े अस्पतालों पर भीड़ कम होगी और गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा.

क्यों महत्वपूर्ण है यह कदम?

झारखंड एक आदिवासी बहुल और पिछड़ा राज्य है, जहां कई इलाकों में अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है. दूरदराज के गांवों में लोगों को छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी मीलों पैदल चलकर अस्पताल जाना पड़ता है. कई बार यह दूरी मरीजों की जान तक ले लेती है. ऐसे में पंचायत स्तर पर उपकेंद्र खोलना सरकार का एक दूरदर्शी कदम माना जा रहा है.

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