झारखंड सरकार ने उन युवाओं के लिए एक नई योजना शुरू करने का निर्णय लिया है जो विदेश में काम करने की इच्छा रखते हैं. अक्सर भाषा की बाधा के कारण उन्हें प्लेसमेंट में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसी समस्या के समाधान के लिए सरकार अब विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण देने जा रही है. इस कार्य की जिम्मेदारी विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पंजीकृत एक निजी एजेंसी को दी जाएगी. इसके लिए श्रम, नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग ने एजेंसी के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
पीपीपी मोड पर बनेगा फॉरेन लैंग्वेज लर्निंग सेंटर
सरकार ने फैसला किया है कि विदेशी भाषा सीखने के लिए रांची में एक फॉरेन लैंग्वेज लर्निंग सेंटर स्थापित किया जाएगा. यह केंद्र पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मोड में संचालित होगा, जहां युवा आधुनिक तकनीक के माध्यम से विदेशी भाषा सीख सकेंगे.
भाषा सीखने से पहले होगा प्रारंभिक मूल्यांकन
प्रशिक्षण से पहले उम्मीदवारों का एक प्रारंभिक मूल्यांकन किया जाएगा, जिससे उनकी भाषा समझने की क्षमता को जांचा जाएगा. इसके बाद उनकी आवश्यकता के अनुसार भाषा का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
किन भाषाओं का मिलेगा प्रशिक्षण?
पहले चरण में अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, रूसी, जर्मन और जापानी भाषाओं का प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है. प्रशिक्षण के दौरान युवाओं को पहले सुनने और बोलने की क्षमता विकसित करने पर जोर दिया जाएगा, इसके बाद उन्हें लिखने और पढ़ने का भी अभ्यास कराया जाएगा.
10,000 घंटे का होगा लर्निंग मॉड्यूल
प्रशिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए 10,000 घंटे का एक विशेष लर्निंग मॉड्यूल तैयार किया जाएगा. इस मॉड्यूल के तहत छात्रों को चरणबद्ध तरीके से भाषा की समझ दी जाएगी.
आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा
यह प्रशिक्षण पूरी तरह आवासीय होगा. सरकार की योजना के अनुसार, लड़कों और लड़कियों के लिए अलग-अलग छात्रावास की सुविधा दी जाएगी, ताकि वे बिना किसी व्यवधान के भाषा सीख सकें.
प्रशिक्षण के बाद मिलेगा प्रमाणपत्र और प्लेसमेंट का अवसर
प्रशिक्षण पूरा करने के बाद युवाओं को झारखंड राज्य कौशल विकास मिशन और प्रशिक्षण देने वाली एजेंसी के संयुक्त हस्ताक्षर वाला प्रमाणपत्र दिया जाएगा. यह प्रमाणपत्र उन्हें विदेश में नौकरी पाने में मदद करेगा.
प्री-डिपार्चर ट्रेनिंग भी होगी अनिवार्य
विदेश जाने से पहले सभी प्रशिक्षित युवाओं को प्री-डिपार्चर ट्रेनिंग (PDOT) दी जाएगी. इससे उन्हें दूसरे देशों की कार्यसंस्कृति और आवश्यक नियमों की जानकारी मिलेगी.
न्यूनतम और अधिकतम प्रशिक्षणार्थी
प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रत्येक बैच में कम से कम 15 और अधिकतम 30 युवा शामिल होंगे. उन्हें दैनिक आठ घंटे की कक्षाएं कराई जाएंगी, जिससे वे जल्दी और प्रभावी तरीके से भाषा सीख सकें.
भविष्य की योजनाएं
राज्य सरकार ने इस योजना को सफल बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं. चयनित एजेंसी को छह महीने के भीतर विदेश मंत्रालय, भारत सरकार से रिक्रूटमेंट एजेंसी के रूप में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा. साथ ही, अत्याधुनिक भाषा प्रयोगशाला सॉफ्टवेयर तैयार करना होगा, जिससे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से प्रशिक्षण दिया जा सके.
योजना की मुख्य बातें संक्षेप में
• फॉरेन लैंग्वेज लर्निंग सेंटर की स्थापना पीपीपी मोड पर की जाएगी.
• विदेश में नौकरी की चाहत रखने वाले युवाओं को इस योजना का सीधा लाभ मिलेगा.
• प्रारंभिक मूल्यांकन के बाद ही प्रशिक्षण दिया जाएगा.
• पहले चरण में छह भाषाओं (अंग्रेजी, फ्रेंच, अरबी, रूसी, जर्मन, जापानी) का प्रशिक्षण दिया जाएगा.
• 10,000 घंटे का विशेष लर्निंग मॉड्यूल तैयार किया जाएगा.
• प्रशिक्षण पूरी तरह आवासीय होगा, छात्रावास की सुविधा दी जाएगी.
• प्रशिक्षण के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर का प्रमाणपत्र मिलेगा.
• प्री-डिपार्चर ट्रेनिंग (PDOT) अनिवार्य होगी.
• प्रत्येक बैच में 15 से 30 युवा शामिल होंगे.
• दैनिक 8 घंटे का प्रशिक्षण होगा.
• अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं के प्रशिक्षण में एक बेसिक अंग्रेजी मॉड्यूल भी शामिल रहेगा.