झारखंड सरकार राज्य के अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के 20 हजार से अधिक भूमिहीन लोगों को वन पट्टा देगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करने के लिए कल्याण विभाग को निर्देश दे दिया है। उधर, मुख्यमंत्री ने दुमका में भूमिहीन आदिवासियों को वन पट्टा देने का भी ऐलान किया है।सूत्रों के मुताबिक जल्द ही कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्तावरखा जाएगा| स्वीकृति मिलने पर 29 दिसंबर को हेमंत सरकार के एक साल पूरा होने के मौके पर आदिवासियों को वन पट्टा दिया जाएगा। हालांकि कोशिश ये भी है कि 15 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से ही इसकी शुरुआत कर दी जाए।
बता दें कि, झारखंड के भौगोलिक क्षेत्र का 33 प्रतिशत से अधिक हिस्सा हरे-भरेवन और वृक्षों से आच्छादित है। इन वनों में कई सदियों से वनवासी रहते हैं जिनके लिए फॉरेस्ट राइट एक्ट 2006 बना हुआ है। इसी के तहत वन में रह रहे या जंगल की जमीन के सहारे अपनी आजीविका अर्जित कर रहे अनुसूचित जनजाति के लोगों को वन पट्टा देने का प्रावधान है। इसके साथ ही इन्हें वन पर अधिकार भी दिया गया है।
वन पट्टा के लिए राज्य भर से अब तक 20400 आवेदन आये हैं जिसे आधार बनाकर कल्याण विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है। सूत्रों मुताबिक लंबित आवेदनों को वन पट्टा देने के बाद नए सिरे से समानांतर आवेदन किया जा सके। संबंधित प्रस्ताव में इसका प्रावधान में किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार लोगों को दो तरह का वन पट्टा दिया जाएगा- व्यक्तिगत वन पट्टा और सामुदायिक वन पट्टा। आगे चलकर सरकारइनके लिए चेक डैम, कुआं, पशुपालन आदि में मदद कर इनके जीवन स्तर को बेहतर करने की व्यवस्था करेगी।
वन अधिकार समितिग्राम पंचायत स्तर पर प्राप्त आवेदनों का दस्तावेजीकरण करती है। इसके बाद ग्राम सभा मेंआवेदन को रखती है। यहां प्रमाणित होने के बाद आवेदन को सब डिविजनल कमेटी (एसडीएलसी) में रखा जाता है। सीओ और अमीन के माध्यम से आवेदन का सत्यापन होने के बाद वन पट्टा का दावा सृजित करने योग्य होने पर जिला स्तरीय कमेटी के समक्ष अंतिम निर्णय के लिए रखा जाता है। इस कमेटी में जिला कल्याण पदाधिकारी और प्रमंडलीय वन अधिकारी शामिल रहते हैं। राज्य स्तरीय कमेटी की ओर से दिशा-निर्देश और समीक्षा की जाती है।
इसस पहले, वन पट्टा के लिए राज्य भर से प्राप्त 28107 आवेदन रद्द किए गए थे। हालांकि अब सरकार आवेदन रद्द करने पर अपील के प्रावधान को पहले से अधिक पारदर्शी बना रही है।
किसे मिलेगा वन पट्टा: वन पट्टा अनुसूचित जनजाति के उन लोगों को दिया जाएगा जो वन भूमि पर रह रहे हैं या वन क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली भूमि से अपनी आजीविका चला रहे हैं। इनमें दिसंबर 2005 के पहले से रह रहे लोग शामिल होंगे| इनके अलावा वैसे लोग जो अनुसूचित जनजाति के ना हो, लेकिन उनकी तीन पीढ़ी करीब 75 वर्षों से वन में रहती आ रही है। इन्हें पंचायत द्वारा मान्यता मिली हुई हो। नए सिरे से बन रहे प्रस्ताव में पात्रता को और स्पष्ट किया जा सकता है।