झारखंड को पहली रामसर साइट की सौगात, विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर साहिबगंज वन पदाधिकारी होंगे सम्मानित….

साहिबगंज जिले के उधवा झील पक्षी अभयारण्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है. यह झारखंड का पहला पक्षी अभयारण्य बन गया है, जिसे रामसर साइट के रूप में मान्यता दी गई है. केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. यह अभयारण्य जिला मुख्यालय से 42 किमी दूर उधवा झील के पास लगभग 65 वर्ग किमी में फैला हुआ है.

विश्व आर्द्रभूमि दिवस पर मिलेगा सम्मान

2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अयोध्या में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया है. इस कार्यक्रम में साहिबगंज वन प्रमंडल पदाधिकारी को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा. रामसर साइट की मान्यता मिलने से अब इस अभयारण्य के संवर्धन और संरक्षण के लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय संगठनों से आर्थिक सहायता भी प्राप्त होगी.

कैसे मिला रामसर साइट का दर्जा?

2024 में उधवा पक्षी अभयारण्य में पक्षियों की गणना की गई थी. इस दौरान वन विभाग को कुछ विलुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षी मिले, जो विश्वभर में दुर्लभ माने जाते हैं. इन पक्षियों की उपस्थिति को देखते हुए वन विभाग ने इस वेटलैंड (आर्द्रभूमि) को रामसर साइट घोषित करने का प्रस्ताव पर्यावरण और वन मंत्रालय को भेजा था. इसके बाद केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी.

सलीम अली पक्षी विज्ञान केंद्र ने बनाया प्रबंधन योजना

वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रबल गर्ग ने बताया कि सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र के अधिकारियों ने उधवा झील पक्षी अभयारण्य के लिए एक इंटीग्रेटेड मैनेजमेंट प्लान (संयुक्त प्रबंधन योजना) तैयार की थी. इस योजना का उद्देश्य अभयारण्य के संरक्षण और यहां के जैवविविधता को बनाए रखना है.

क्या है रामसर साइट?

रामसर साइट का नाम ईरान के रामसर शहर से लिया गया है, जहां 1971 में आर्द्रभूमि संरक्षण के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि (रामसर कन्वेंशन) की गई थी. यह संधि दुनिया भर की महत्वपूर्ण आर्द्रभूमियों के संरक्षण और उनके सतत उपयोग के लिए बनाई गई थी. रामसर कन्वेंशन उन आर्द्रभूमियों की पहचान करता है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण होती हैं.

रामसर साइट के रूप में कोई भी स्थान तभी घोषित किया जाता है जब वह तीन महत्वपूर्ण शर्तों को पूरा करता हो—

• 20,000 से अधिक प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति.

• विलुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षियों की मौजूदगी.

• स्थान का प्राकृतिक रूप से संरक्षित होना.

भारत में कितनी रामसर साइट्स हैं?

वर्तमान में विश्वभर में 2,400 से अधिक रामसर साइट्स हैं, जिनमें से भारत में 87 रामसर साइट्स शामिल हैं. दो साल पहले बिहार के बेगूसराय जिले में स्थित कावर झील को रामसर साइट घोषित किया गया था. अब उधवा झील, झारखंड की पहली रामसर साइट बन गई है, जो राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

उधवा झील पक्षी अभयारण्य की विशेषताएँ

• यह साहिबगंज जिले में 65 वर्ग किमी में फैला हुआ है.

• यहां दुर्लभ और विलुप्तप्राय प्रजातियों के पक्षी पाए जाते हैं.

• प्रवासी पक्षियों का प्रमुख ठिकाना है, जहां हर साल हजारों की संख्या में पक्षी आते हैं.

• इसे वेटलैंड के रूप में संरक्षित किया गया है, जिससे यहां के प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखा जा सके.

रामसर साइट बनने से क्या फायदे होंगे?

  • अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड की पहचान बढ़ेगी.
  • अभयारण्य के संरक्षण और प्रबंधन के लिए केंद्र और विदेशी संस्थाओं से आर्थिक सहायता मिलेगी.
  • पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
  • स्थानीय समुदायों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×