पूरे देशभर में 1 जून को लोकसभा चुनाव 2024 का मतदान शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गए. अब लोगों को इंतजार है तो बस 4 जून का जब लोकसभा चुनाव 2024 के आखरी परिणाम सामने आएंगे. हालांकि चुनाव का आखरी चरण खत्म होते ही टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक हर जगह बस एग्जिट पोल की चर्चा हो रही है. पर बात करें झारखंड की तो वहां के एग्जिट पोल के आंकड़ें को पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने से जोड़ा जा रहा है. दरअसल, झारखंड की कुल 14 लोकसभा सीटों में से एनडीए के खाते में 9 से 12 के बीच सीटें आने की संभावना दिख रही है तो वहीं इंडिया गठबंधन को 2 से 5 सीटें मिलने का अनुमान जताया जा रहा है. वहीं बात अगर लोकसभा चुनाव 2019 की करें तो झारखंड में एनडीए को 12 सीटें मिली थी, जिसमें से 11 सीटों को बीजेपी के उम्मीदवार ने जीतकर अपने हिस्से कर ली थी लेकिन, इस बार उन में से ही कई सीटों पर बीजेपी को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. खासकर आदिवासी समुदाय की सीटों पर, क्योंकि जिस तरीके से पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पूरी रणनीति के साथ जेल में डाला गया है उसे लेकर झारखंड की जनता में खासकर आदिवासी संघ के लोगों में इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. जिसका प्रभाव आगामी 4 जून को मतगणना के दिन देखा जा सकता है. बता दें कि, गिरिडीह, कोडरमा, खूंटी, दुमका और राजमहल ऐसे लोकसभा सीट हैं जहां पर इंडिया महागठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देते दिखाई पड़ रहे हैं और संभावना है कि इस दौड़ में इंडिया महागठबंधन इस बार आगे निकल जाए. हालांकि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि भाजपा इस बार भी झारखंड में क्लीन स्वीप करने जा रही है और झारखंड की जनता निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से एक बार प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती है तो वही झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक नेता का कहना है कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जेल में डालकर बहुत बड़ी गलती की है जिसका परिणाम निश्चित ही आगामी 4 जून को मतगणना के दिन देखने को मिल सकता है.
राजनीतिक जानकारों के विचार..
एग्जिट पोल के अनुसार झारखंड में भाजपा को हो रहे नुकसान को लेकर वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडेय कहते हैं कि एग्जिट पोल के नतीजों के अनुसार बिहार की तरह झारखंड में भी बीजेपी को कुछ सीटों पर नुकसान होता साफ दिख रहा है. मुझे लगता है कि बीजेपी की संगठनात्मक कमजोरी के कारण भाजपा को झारखंड में नुकसान झेलना पड़ सकता है वहीं दूसरा कारण बताए हुए अरुण पांडेय ने कहा कि हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन को बीजेपी में शामिल कराना भी झारखंड के लोगों के बीच एक बड़ा पहलू हो सकता है, जिसकी वजह से साफ अनुमान लगाया जा सकता है की इस बार झारखंड में भाजपा को बड़ा नुकसान भुगतना पड़ सकता है और उम्मीदतः लोकसभा चुनाव 2019 की तुलना में इस बार उतनी सीटें मिलने में मुश्किल हो सकती है.