झारखंड चुनाव: भाजपा-आजसू में सीटों का समझौता, सरयू की बदली सीट, सुदेश महतो को नहीं मिली टुंडी….

झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए के घटकों के बीच सीटों का बंटवारा फाइनल हो गया है. शुक्रवार को इसकी घोषणा कर दी गई, लेकिन इससे पहले कई दौर की बैठकों और मतभेदों के बाद समझौता हो सका. खासकर, भाजपा और आजसू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान देखने को मिली. भाजपा ने मांडू और ईचागढ़ सीट आजसू को सौंपी, लेकिन सरयू राय की सीट में बदलाव कर दिया. इसके साथ ही एनडीए के फॉर्मूले के तहत भाजपा 68 सीटों पर, आजसू 10 सीटों पर, जदयू 2 और लोजपा 1 सीट पर चुनाव लड़ेगी.

सुदेश महतो और टुंडी पर गतिरोध

आजसू प्रमुख सुदेश महतो की नाराजगी टुंडी सीट को लेकर थी. सुदेश इस सीट से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे, जो कुरमी बहुल क्षेत्र है. झामुमो के मथुरा महतो इस सीट से विधायक हैं, और यहां गैर-महतो वोटरों की भी अच्छी खासी संख्या है. भाजपा इस सीट को अपने पास रखना चाहती थी क्योंकि पार्टी इसे अपनी संभावनाओं के लिए महत्वपूर्ण मान रही थी. सुदेश महतो की नाराजगी को शांत करने के लिए भाजपा के सह-चुनाव प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा उनके घर पहुंचे और उन्हें आश्वासन दिया कि जो जहां से मजबूत होगा, वहीं से चुनाव लड़ेगा. इसके बाद समझौता हुआ और एनडीए के सीटों की घोषणा हुई.

बंटवारे की रणनीति और मरहम

प्रेस वार्ता में देरी की मुख्य वजह आजसू के साथ चल रही बातचीत रही. आजसू को मनाने के लिए भाजपा को कई सीटें आजसू के पक्ष में करनी पड़ी. जुगसलाई और ईचागढ़ सीटें आजसू को दी गईं, जबकि बड़कागांव से भाजपा खुद लड़ेगी. इसी बीच, एनडीए की रणनीति यह बनी कि अगर नामांकन के अंतिम दिन तक किसी पार्टी को लगे कि वह सीट जीतने में कमजोर है, तो सीटों की अदला-बदली की जाएगी. इसका मकसद यह है कि एनडीए घटक दलों के बीच सीटें ऐसी हों, जहां वे जीतने की स्थिति में हों.

जदयू की नाराजगी और सीट बंटवारा

जदयू ने सीटों के बंटवारे पर नाराजगी जताई. पार्टी ने 10 सीटों की मांग की थी, लेकिन उसे केवल 2 सीटें मिलीं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष खीरू महतो के बेटे दुष्यंत पटेल ने सोशल मीडिया पर कहा कि भाजपा और आजसू के प्रेस कांफ्रेंस में जदयू की सीटों की घोषणा का कोई औचित्य नहीं था, क्योंकि इसमें जदयू के किसी नेता की सहमति नहीं ली गई थी. जदयू का कहना है कि सीटों के बंटवारे का अधिकार केवल जदयू नेतृत्व के पास है और वे नीतीश कुमार के निर्देशों के अनुसार आगे का फैसला लेंगे.

सरयू राय की सीट बदलने पर विवाद

2019 में भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को हराने वाले सरयू राय की सीट भी बदल दी गई. पहले सरयू राय जमशेदपुर पूर्व से चुनाव लड़ते थे, लेकिन इस बार उन्हें जमशेदपुर पश्चिम से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया. बताया जा रहा है कि यह बदलाव रघुवर दास के दबाव में किया गया. हालांकि, पार्टी ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया.

लोजपा को मिली 1 सीट

लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने झारखंड चुनाव में 3 सीटों की मांग की थी, लेकिन भाजपा ने उन्हें केवल 1 सीट, चतरा, देकर समझौता किया. चतरा से अभी मंत्री सत्यानंद भोक्ता विधायक हैं, लेकिन अब वे एसटी वर्ग में शामिल हो चुके हैं और इसलिए इस सीट पर लोजपा को मौका दिया गया है.

आजसू को मिलीं 10 सीटें

आजसू को बंटवारे में 10 सीटें दी गई हैं, जिनमें से 3 सीटें पहले से उसके पास थीं. मांडू सीट, जो पहले कांग्रेस के जय प्रकाश भाई पटेल के पास थी, अब आजसू को दी गई है. इसके अलावा आजसू को गोमिया, रामगढ़, सिल्ली, जुगसलाई और ईचागढ़ सीटें भी मिली हैं. एनडीए के इस फॉर्मूले के तहत आजसू को 6 सामान्य सीटें, 3 आदिवासी सीटें और 1 अनुसूचित जनजाति की सीट दी गई है. इन सीटों पर आजसू का मुकाबला झामुमो और कांग्रेस से होगा.

भाजपा और आजसू का गठबंधन

भाजपा और आजसू का गठबंधन इस बार झारखंड चुनाव में जीत हासिल करने के लिए संयुक्त रूप से काम करेगा. हिमंता बिस्वा सरमा ने स्पष्ट किया कि अब भाजपा, आजसू, जदयू, और लोजपा नहीं, बल्कि एनडीए के घटक दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे. उनका कहना है कि अंतिम समय तक सीटों का अदला-बदली हो सकती है, जिससे हर सीट पर मजबूत उम्मीदवार खड़ा किया जा सके.

एनडीए की रणनीति और भविष्य

एनडीए ने झारखंड चुनाव के लिए अपना फॉर्मूला तैयार कर लिया है. इस बार का चुनाव एनडीए के लिए अहम है, क्योंकि 2019 में जनता ने कई मुद्दों पर नाराजगी जताई थी. अब एनडीए के घटक दल संयुक्त रूप से जनता के बीच जाएंगे और जीत सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगे. सुदेश महतो ने कहा कि एनडीए की बड़ी जीत के लिए वे मिलकर काम करेंगे और राज्य को तरक्की के रास्ते पर आगे ले जाएंगे.

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