झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है. पार्टी द्वारा इस बार प्रत्याशियों के चयन में गहन समीक्षा और रणनीति पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. रायशुमारी के माध्यम से सभी विधानसभा सीटों पर संभावित प्रत्याशियों के नाम पर विचार किया जा रहा है. इसके साथ ही भाजपा अपने समर्थक मतदाताओं के वोटों को एकजुट रखने और विपक्षी दलों की रणनीति को भांपने में जुटी है. पार्टी को केंद्रीय नेतृत्व से यह स्पष्ट निर्देश मिला है कि वोटों के बिखराव को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए. इस कार्य को अंजाम देने के लिए भाजपा के ओबीसी मोर्चा को विशेष जिम्मेदारी दी गई है कि वे वोटों के बिखराव पर कड़ी नजर रखें और आवश्यक कदम उठाएं.
भाजपा की चुनौती: जेबीकेएसएस और अन्य क्षेत्रीय दल
इस चुनाव में भाजपा के सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती जेबीकेएसएस (जयराम महतो की पार्टी) की है. गिरिडीह, बोकारो, धनबाद, रांची सहित कोल्हान क्षेत्र की कुछ सीटों पर जेबीकेएसएस ने भी अपने प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है. पिछली लोकसभा चुनाव में जयराम महतो के पक्ष में बड़ी संख्या में वोट ट्रांसफर हुए थे, और इस विधानसभा चुनाव में भी यदि वोटों का छोटा प्रतिशत भी महतो की पार्टी की ओर खिंचता है, तो इससे भाजपा की जीत-हार पर प्रभाव पड़ सकता है. भाजपा ने इन संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए अपने प्रत्याशी चयन में अधिक सतर्कता बरतने का निर्णय लिया है. पार्टी का पूरा ध्यान इस बात पर है कि प्रत्येक सीट पर ऐसे प्रत्याशी खड़े किए जाएं, जिन्हें कार्यकर्ताओं का पूर्ण समर्थन मिले और जो मतदाताओं के बीच अपनी मजबूत पकड़ बना सकें. इस बार कई सीटों पर भाजपा स्वयं चुनाव लड़ेगी, जबकि कुछ सीटों पर भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू (ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन) के प्रत्याशी मैदान में होंगे.
रायशुमारी का महत्व और पार्टी का मनोबल
भाजपा ने प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया को पारदर्शी और कार्यकर्ता-केंद्रित बनाने के लिए रायशुमारी का आयोजन किया. इस रायशुमारी में बड़ी संख्या में मंडल और शक्ति केंद्र स्तर के कार्यकर्ता शामिल हुए. कार्यकर्ताओं के उत्साह ने पार्टी के मनोबल को बढ़ाया है, और इससे यह संकेत मिला है कि पार्टी के ग्रासरूट लेवल पर अच्छा खासा समर्थन है. रायशुमारी के माध्यम से हर सीट के लिए तीन से पांच संभावित प्रत्याशियों के नामों पर विचार किया गया है. हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को काबू में रखना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. रायशुमारी में जिन नामों का सुझाव आया है, उनमें से प्रत्येक को टिकट नहीं मिल सकता, और इससे कुछ नेताओं और कार्यकर्ताओं में निराशा हो सकती है. इस स्थिति से निपटने के लिए संगठन स्तर पर रणनीति तैयार की गई है ताकि किसी भी प्रकार की बगावत या असंतोष को समय रहते काबू किया जा सके.
वोट बंटवारे की चिंता और भाजपा की रणनीति
भाजपा इस बार अपने समर्थक वोटों के बंटवारे को लेकर भी सतर्क है. पार्टी को यह आशंका है कि यदि समर्थक वोट बंट जाते हैं तो इसका सीधा फायदा विपक्षी दलों को हो सकता है. विशेष रूप से ओबीसी वोट बैंक को एकजुट रखने की चुनौती पार्टी के सामने है, जिसे ध्यान में रखते हुए ओबीसी मोर्चा को विशेष कार्यभार सौंपा गया है. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाई को निर्देश दिए हैं कि वे हर सीट पर स्थानीय स्तर पर मजबूत और लोकप्रिय चेहरा चुनें, ताकि मतदाता पार्टी के पक्ष में मजबूती से खड़े रह सकें. साथ ही, संगठन ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि प्रत्याशियों के चयन में पारदर्शिता और कार्यकर्ता संतुष्टि को प्राथमिकता दी जाए, ताकि चुनाव से पहले ही कोई असंतोष पार्टी के लिए मुसीबत न बन जाए.
विपक्ष की रणनीति पर भाजपा की नजर
इस बार के चुनाव में विपक्ष भी अपनी रणनीतियों को तेज कर रहा है. भाजपा इस बात को भली-भांति समझ रही है कि केवल मजबूत प्रत्याशी खड़े करने से ही काम नहीं चलेगा, बल्कि विपक्ष की चालों को भी समझना और उनका मुकाबला करना जरूरी होगा. विपक्षी दल भी जातिगत समीकरण और स्थानीय मुद्दों को भुनाने की कोशिश में लगे हैं. भाजपा ने अपने स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को यह निर्देश दिया है कि वे न केवल अपने क्षेत्र में पार्टी की मजबूती के लिए काम करें, बल्कि विपक्ष के संभावित प्रत्याशियों और उनकी रणनीतियों पर भी कड़ी नजर रखें.
भविष्य की तैयारी और पार्टी की उम्मीदें
भाजपा की इस बार की रणनीति यह है कि हर सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए. पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से चुनावी मोड में डाल दिया है और उन्हें निर्देशित किया है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जनता से जुड़े मुद्दों को उठाएं और उनका समाधान निकालें. पार्टी का फोकस इस बार विकास और सुशासन के मुद्दों पर है, और वह चाहती है कि जनता को यह भरोसा दिलाया जाए कि भाजपा ही उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है. इसके अलावा, भाजपा अपने चुनाव प्रचार को भी आक्रामक बनाने की तैयारी में है. बड़े नेताओं की रैलियों, जनसभाओं और सोशल मीडिया के माध्यम से पार्टी जनता तक अपनी बात पहुंचाने की योजना बना रही है. भाजपा की कोशिश है कि वह झारखंड के हर कोने में अपनी पकड़ मजबूत बनाए और आगामी विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करे. भाजपा के लिए झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 एक बड़ा अवसर है, और पार्टी इसे किसी भी कीमत पर हाथ से जाने नहीं देना चाहती. पार्टी का पूरा ध्यान इस बात पर है कि चुनावी रणनीति ऐसी हो, जो विपक्ष की हर चाल का मुंहतोड़ जवाब दे सके और मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में लामबंद कर सके. भाजपा को उम्मीद है कि उसकी मेहनत और रणनीति रंग लाएगी और वह झारखंड की सत्ता में वापसी करेगी.