झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक आदित्य रंजन ने उन प्रखंड साधन सेवियों (बीआरपी) और संकुल साधन सेवियों (सीआरपी) के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आदेश दिया है, जिन्होंने इस महीने में विद्यालयों का निरीक्षण ठीक से नहीं किया. जिन बीआरपी ने केवल शून्य से पांच विद्यालयों का निरीक्षण किया है, उन्हें हटाने का निर्देश दिया गया है, जबकि ऐसे सीआरपी को भी सेवामुक्त करने को कहा गया है जिन्होंने केवल 10 विद्यालयों का निरीक्षण किया है.
निदेशक का निर्देश
आदित्य रंजन ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला शिक्षा अधीक्षकों को एक पत्र भेजकर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे साधन सेवियों की पहचान की जाए जो निरीक्षण में लापरवाही बरत रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यदि ये सेवक संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं देते हैं, तो उन्हें सेवामुक्त कर दिया जाए.
विद्यालयों का निरीक्षण: वर्तमान स्थिति
राज्य परियोजना निदेशक ने सितंबर माह में अब तक हुए विद्यालयों के निरीक्षण का जिलावार ब्यौरा प्रस्तुत किया है. उनके अनुसार, प्रखंड साधन सेवियों द्वारा 59.89 प्रतिशत और संकुल साधन सेवियों द्वारा 60.20 प्रतिशत विद्यालयों का निरीक्षण किया गया है. यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि कई प्रखंड और संकुल ऐसे हैं जहां के साधन सेवियों ने एक भी विद्यालय का निरीक्षण नहीं किया है.
पिछले आदेशों का प्रभाव
यह आदेश ऐसे समय में आया है जब निदेशक ने 27 अगस्त को भी एक आदेश जारी किया था, जिसमें विद्यालयों के निरीक्षण में लापरवाही बरतने वाले 181 बीआरपी और सीआरपी का अगस्त माह का मानदेय रोकने का आदेश दिया था. इनमें 61 बीआरपी और 120 सीआरपी शामिल थे. बीआरपी और सीआरपी का मुख्य कार्य विद्यालयों का निरीक्षण कर विभाग को रिपोर्ट उपलब्ध कराना है, लेकिन लगातार निरीक्षण में कमी आ रही है.
महासंघ का विरोध
बीआरपी, सीआरपी महासंघ ने निदेशक द्वारा दिए गए आदेश का विरोध किया है. महासंघ के अध्यक्ष पंकज शुक्ला ने कहा कि उपायुक्त और अन्य पदाधिकारियों द्वारा बीआरपी और सीआरपी को शिक्षा विभाग के मूल कार्यों से अलग कार्यों में लगातार लगाया जा रहा है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जाति प्रमाण पत्र बनाने, मनरेगा सम्मान योजना, चौकीदार नियुक्ति, सेक्टर मजिस्ट्रेट की ड्यूटी और बूथ लेवल आफिसर की ड्यूटी आदि में बीआरपी और सीआरपी को लगाया जा रहा है. महासंघ का कहना है कि इस तरह की प्रतिनियुक्ति के कारण बीआरपी और सीआरपी को विद्यालयों का निरीक्षण करने में कठिनाई हो रही है. उन्होंने कई बार इस मुद्दे को उठाते हुए मांग की है कि बीआरपी और सीआरपी को अन्य कार्यों से मुक्त किया जाए ताकि वे अपने मुख्य कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकें.
लक्ष्य की पूर्ति में कठिनाई
बीआरपी को प्रत्येक माह न्यूनतम 10 विद्यालयों और सीआरपी को 18 विद्यालयों के निरीक्षण का लक्ष्य दिया गया है. लेकिन जब उन्हें अन्यत्र प्रतिनियुक्ति के कारण काम में व्यस्त किया जाएगा, तो ये लक्ष्य पूरा करना संभव नहीं हो सकेगा. इस स्थिति के कारण शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जो कि छात्रों की शिक्षा के लिए हानिकारक साबित हो सकता है.