झारखंड के गढ़वा जिले में आयोजित श्री बंशीधर नगर महोत्सव इस बार विवादों में घिर गया है. इस महोत्सव में प्रस्तुत अश्लील गानों को लेकर राज्य के वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने नाराजगी जताई है. उन्होंने झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी को पत्र लिखकर इस मामले में कार्रवाई की मांग की है. इसके साथ ही उन्होंने महोत्सव के लिए आवंटित राशि का ऑडिट कराने का निर्देश दिया है. मंत्री ने इस बात पर चिंता जताई कि राजकीय महोत्सव, जो झारखंड की संस्कृति और परंपराओं को उजागर करने के लिए आयोजित किया जाता है, उसे प्रशासन ने एक सामान्य मनोरंजन कार्यक्रम बना दिया.
महोत्सव के आयोजन पर सवाल
वित्त मंत्री ने अपने पत्र में लिखा है कि यह महोत्सव एक राजकीय आयोजन है, जिसमें शास्त्रीय संगीत, आदिवासी लोकनृत्य, बांसुरी वादन और उत्कृष्ट कवि सम्मेलनों जैसी प्रस्तुतियां होनी चाहिए थीं. लेकिन इसके विपरीत भोजपुरी गानों की आड़ में अश्लील गानों का मंचन किया गया. उन्होंने कहा कि इससे महोत्सव की गंभीरता और उद्देश्य दोनों प्रभावित हुए हैं. मंत्री ने कहा कि इस आयोजन के लिए 50 लाख रुपये की अग्रिम राशि जिला प्रशासन को दी गई थी, जबकि पूरे महोत्सव के लिए अधिकतम 80 लाख रुपये का बजट निर्धारित था. इस राशि का उपयोग संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के लिए किया जाना था, लेकिन इसके विपरीत इसका उपयोग अमर्यादित कार्यक्रमों में किया गया. उन्होंने आशंका जताई कि इस कार्यक्रम में अनियमितताओं की संभावना हो सकती है, इसलिए राशि के ऑडिट की जरूरत है.
अधिकारियों की भूमिका पर उठे सवाल
वित्त मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि महोत्सव के आयोजन की जिम्मेदारी जिला उपायुक्त को दी गई थी, जबकि इसे विभागीय सचिव या प्रमंडलीय आयुक्त को सौंपा जाना चाहिए था. उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि महोत्सव में अधिकारी मंच के सामने बैठे थे और वे भी अश्लील गानों पर झूमते नजर आए. इससे न केवल महोत्सव की छवि धूमिल हुई, बल्कि जिला प्रशासन की गरिमा भी प्रभावित हुई. उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई आयोजन राजकीय स्तर पर होता है, तो उसमें उच्च गुणवत्ता वाली प्रस्तुतियों की उम्मीद की जाती है. लेकिन गढ़वा में ऐसा नहीं हुआ, बल्कि सस्ते मनोरंजन को प्राथमिकता दी गई, जिससे महोत्सव की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा.
ऑडिट और सुधार की मांग
मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने मुख्य सचिव से यह अनुरोध किया कि महोत्सव के आयोजन की आर्थिक जांच कराई जाए और इस तरह की लापरवाहियों को रोकने के लिए कड़े दिशा-निर्देश बनाए जाएं. उन्होंने सुझाव दिया कि आगे से इस महोत्सव का दायित्व जिला प्रशासन के बजाय विभागीय सचिव या प्रमंडलीय आयुक्त को दिया जाए, ताकि कार्यक्रम गंभीरता और गरिमा के साथ आयोजित हो. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों में प्रशासन की जिम्मेदारी केवल आयोजन तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह भी देखना चाहिए कि कार्यक्रम शालीनता और मूल उद्देश्य के अनुरूप हो. यदि किसी आयोजन में नैतिकता और संस्कृति की अनदेखी की जाती है, तो यह केवल एक मनोरंजन कार्यक्रम बनकर रह जाता है, जो राजकीय महोत्सव की प्रतिष्ठा के विपरीत है.
विवाद के बाद प्रशासन पर दबाव
श्री बंशीधर नगर महोत्सव में प्रस्तुत गानों को लेकर विवाद सामने आने के बाद प्रशासन पर कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है. सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में भी इस विषय पर चर्चा हो रही है. कई लोगों का मानना है कि राजकीय आयोजनों में गुणवत्ता बनाए रखना आवश्यक है, ताकि यह आम जनता के लिए संदेशवाहक और प्रेरणादायक बने, न कि विवादास्पद.