कोरोना संकट के दौर में बस संचालकों के लिए बिना किसी कमाई के टैक्स चुकाने की समस्या को समझते हुए झारखंड सरकार थोड़ी राहत दे सकती है| राज्य सरकार ने बस ऑपरेटरों के छह महीने का टैक्स माफ करने का प्रस्ताव तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक अप्रैल से सितंबर महीने तक का रोड टैक्स माफ किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि अगले एक हफ्ते में इसकी घोषणा हो सकती है। बस संचालक लंबे समय से इसके लिए गुहार लगा रहे थे।
बस संचालकों ने अपनी बात रखते हुए कहा था कि लॉकडाउन में आमदनी पूरी तरह से बंद होने के बावजूद उनसे टैक्स वसूलना कहीं से भी उचित नहीं है। उनलोगों को इससे छूट मिलनी चाहिए।बस मालिकों ने इसके अलावा भी सरकार के सामने कई मांगे रखी हैं। वहीं बीमा राशि के रूप में जमा की गई रकम पर भी बस संचालक सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने जबबसों को चलने नहीं दिया तो बीमा की अवधि को बढ़ाकर इसकी भरपाई की जाए।
उक्त मांगों को ध्यान में रखते हुए राज्य के परिवहन मंत्री ने बस संचालकों को टैक्स से छूट देने का आश्वासन दिया है। उधर, सरकार के इस फैसले पर सहयोगी दल कांग्रेस ने भी समर्थन देने के संकेत दिए हैं। दरअसल देश के तमाम राज्यों में बस संचालकों को लॉकडाउन अवधि में टैक्स से छूट देने का निर्णय पहले ही लिया जा चुका हैं।उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों ने तो बस संचालकों को पूरे वर्ष के लिए रोड टैक्स पर कुछ ना कुछ छूट देने की घोषणा की है।
ज्ञात हो कि झारखंड में लंबी दूरी की लगभग 10 हजार बसें चलती हैं। इनके बस संचालकों से हर तिमाही लगभग 9 हजार रुपये टैक्स की वसूली की जाती है और इस प्रकार रोड टैक्स के मद में छह महीने में 18 हजार रुपये आए। इसके साथ ही इतनी ही राशि उन्हें दूसरे राज्यों को भी देनी पड़ती है।
राज्य में चलने वाली बसों में सर्वाधिक बिहार का सफर तय करती हैं। अगर टैक्स की दोनों ओर की राशि जोड़ दें तो आंकड़ा 36 करोड़ के आसपास आता है। वहीं, इंश्योरेंस, ईएमआइ आदि आंकड़ों को मिला दें तो पूरा बजट 350 करोड़ का आंकड़ा पार कर जाता है। इस सब के बीच अब इन्हें सिर्फ रोड टैक्स में राहत देने की तैयारी की जा रही है।
परिहन विभाग के सचिव के रवि कुमार ने बताया कि बस ऑपरेटरों का टैक्स माफ करने पर सरकार गंभीरता से विचार कर रही है। एक हफ्ते के भीतर इस पर निर्णय लिया जा सकता है।