झारखंड का बूढ़ा पहाड़ हुआ नक्सली मुक्त, पुलिस ने किया कब्जा..

राज्य प्रशासन के हाथ बड़ी सफलता लगी है। जहां पुलिस द्वारा 30 सालों से अधिक समय तक नक्सलियों के कब्जे में रह रहे बूढ़ा पहाड़ को पूरी तरह मुक्त करा लिया है। जिसके बाद झारखंड पुलिस ने पहली बार शुक्रवार को बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर एमआइ हेलीकॉप्टर उतारा। वहीं आइजी अभियान एवी होमकर ने बताया कि कब्जे के बाद बूढ़ा पहाड़ की चोटी पर कैंप बनाया गया है। जहां जवानों के राशन और दूसरें सामान की व्यवस्था हेलीकॉप्टर और दूसरे साधनों से की जायेगी। ताकि जवानों का कैंप वहां बना रहे और नक्सली फिर कभी भी वहां ना आ सकें। जल्द ही डीजीपी नीरज सिन्हा बूढ़ा पहाड़ निरीक्षण के लिए जा सकते हैं।

1990 के समय से ही था नक्सली राज..
वहीं आइजी अभियान ने बताया कि 1990 के समय से ही नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ पर कब्जा कर लिया था। वहां सेंट्रल कमेटी के नक्सली रहा करते थे। जिस कारण वहां नक्सलियों की संख्या अधिक होती थी। पुलिस ने कई बार अभियान चलाए लेकिन बूढ़ा पहाड़ पर कभी पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाए। इसी क्रम में साल 2018 के जून ।महीने में पुलिस की टीम ने बूढ़ा पहाड़ पर चढ़ने का प्रयास किया, तो नक्सलियों ने उन्हें रोकने के लिए आइइडी विस्फोट कर दिया था। जिसमें कुल छह जवान शहीद हो गये थे. जिसके बाद नक्सलियों के खिलाफ अभियान की गति में धीमी हो गयी थी।

एक साल से चल रही दज प्लानिंग..
वहीं इस बार बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों के चुंगल से मुक्त कराने के लिए पुलिस पिछले एक साल से लगातार लगी हुई थी। जिसके लिए एक रणनीति तैयार की गई और एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर,एसटीएफ डीआइजी अनूप बिरथरे और आइजी अभियान के नेतृत्व में टीम का निर्माण किया गया। जो पहाड़ के निचले हिस्से में प्लान के अनुसार धीरे- धीरे कैंप स्थापित करने लगी। हाल में ही पहाड़ की चोटी पर कुछ नक्सलियों के जमा होने की गुप्त सूचना मिली थी। वहीं सौरभ उर्फ मार्कुस बाबा, रीजनल कमेटी मेंबर छोटू खैरवार, रीजनल कमेटी मेंबर नवीन यादव सहित बूढ़ा पहाड़ में 50 नक्सलियों के जमा होने की सूचना के आधार पर ऑपरेशन ऑक्टोपस शुरू किया गया। जिसके बाद पहाड़ की चोटी पर बने नक्सलियों के ठिकाने पर लगातार फायरिंग की गयी। जिसके बाद नक्सली वहां से भाग निकले। जिन्हें पकड़ने के लिए पुलिस का अभियान अब जारी है। हालांकि कई भागे हुए नक्सली सरेंडर करने की इच्छा जाहिर करते हुए पुलिस से संपर्क कर रहे हैं।

पारसनाथ पहाड़ को मिलेगी नक्सलियों से मुक्ति..
दरअसल बूढ़ा पहाड़ के बाद अब पारसनाथ पहाड़ को भी नक्सलियों के कहर से पूरी तरह मुक्त कराने की बात चल रही है. बता दें कि पारसनाथ में नक्सलियों का अहम गढ़ माने जानेवाले मोहनपुर और बेलाटांड़ में पहुंच कर पुलिस अपना कैंप बनाने वाली है। साथ ही चाईबासा में नक्सलियों का गढ़ माने जानेवाले चितपुल और सरायकेला के लुदीबेड़ा में पुलिस कैंप स्थापित कर चुकी है। हालांकि पारसनाथ की ऊपरी चोटी में अब कैंप की स्थापना होगी।