झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही राज्य की राजनीति में हलचल बढ़ गई है. इस बीच बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने एक बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी झारखंड की सभी 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी और चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी.
बसपा अकेले लड़ेगी चुनाव
मायावती ने झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर साफ कर दिया है कि बसपा किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी झारखंड और महाराष्ट्र, दोनों राज्यों में अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी. मायावती ने अपने समर्थकों से अपील करते हुए कहा कि वे बसपा के साथ मजबूती से जुड़े रहें और इधर-उधर न भटकें.
चुनाव आयोग की तारीफ
मायावती ने चुनाव आयोग द्वारा झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा का स्वागत किया है. उन्होंने चुनाव आयोग की इस बात के लिए सराहना की कि चुनाव को जल्दी और कम समय में संपन्न कराने की कोशिश की जा रही है. मायावती ने कहा कि यह एक अच्छा कदम है, जिससे चुनाव प्रक्रिया में धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल पर रोक लग सकेगी. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव की पारदर्शिता बनाए रखने की पूरी जिम्मेदारी चुनाव आयोग की है, और चुनाव जितना छोटा और साफ-सुथरा होगा, लोकतंत्र के लिए उतना ही बेहतर होगा.
झारखंड में दो चरणों में होंगे चुनाव
चुनाव आयोग ने झारखंड विधानसभा चुनाव को दो चरणों में संपन्न कराने की घोषणा की है. पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को होगा, जिसमें 43 सीटों पर वोट डाले जाएंगे. दूसरे चरण में 38 सीटों के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा. 81 विधानसभा सीटों वाले झारखंड में पिछला चुनाव 2019 में पांच चरणों में कराया गया था, लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने इसे दो चरणों में निपटाने का फैसला लिया है. चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि चुनाव प्रक्रिया को कम समय में और पूरी पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाए. इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि चुनाव में धनबल और बाहुबल का प्रभाव कम से कम हो सके. मायावती ने भी इसी पहलू को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग की तारीफ की और उम्मीद जताई कि आयोग चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराएगा.
मायावती की उम्मीदें और रणनीति
झारखंड में बसपा का प्रभाव उत्तर प्रदेश जैसा नहीं है, लेकिन मायावती ने यहां अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी का मकसद झारखंड के लोगों को एक नई राजनीतिक दिशा देना है. मायावती ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे पूरे जोर-शोर से चुनाव प्रचार में जुटें और लोगों को बसपा की नीतियों और विचारधारा से अवगत कराएं. बसपा सुप्रीमो की रणनीति यह है कि वे दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को साधने की कोशिश करेंगी. मायावती को उम्मीद है कि उनकी पार्टी झारखंड के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. हालांकि, झारखंड की राजनीतिक स्थिति में बसपा का कोई बहुत बड़ा जनाधार नहीं है, फिर भी मायावती अपनी पार्टी की ताकत को दिखाने के लिए पूरी कोशिश कर रही हैं.
राजनीतिक सरगर्मियां तेज
चुनाव की तारीखों का ऐलान होते ही झारखंड में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सभी प्रमुख पार्टियां अपने उम्मीदवारों के चयन और चुनाव प्रचार की रणनीतियों पर काम कर रही हैं. राज्य की दो बड़ी पार्टियां—झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)—के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही है, जबकि बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश में जुटी हैं.