झारखंड विधानसभा चुनाव 2024: हेमंत सोरेन बनाम चंपाई सोरेन – किसके पक्ष में है जनता का मूड?….

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में इस बार एक रोमांचक मुकाबला देखने को मिलेगा, जहां एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन आमने-सामने होंगे. इस चुनावी संघर्ष का केंद्रबिंदु मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बीच की टक्कर है. दोनों ही नेता अपने-अपने ‘विक्टिम कार्ड’ खेलकर जनता की सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि जनता किसके पक्ष में खड़ी है?

झारखंड में बदलते सियासी समीकरण

2019 के चुनाव के बाद से झारखंड की राजनीतिक स्थिति में कई बदलाव आए हैं. इस बार एनडीए में भाजपा, आजसू, जदयू और एनसीपी (अजित पवार गुट) शामिल हैं, जबकि ‘इंडिया’ गठबंधन में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और भाकपा माले शामिल हैं. हालांकि, सीट बंटवारे पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है. दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर का माहौल है, और चुनाव परिणाम किसके पक्ष में आएंगे, यह कहना फिलहाल मुश्किल है.

हेमंत सोरेन: ‘मंईयां सम्मान योजना’ से आदिवासी महिलाओं में लोकप्रियता

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी ‘मंईयां सम्मान योजना’ के जरिए आदिवासी महिलाओं के बीच खासा प्रभाव बनाया है. इस योजना के तहत आदिवासी महिलाओं को एक हजार रुपये की सम्मान राशि दी जाती है, जो उनके लिए आर्थिक मदद का एक बड़ा स्रोत बन गया है. झारखंड में आदिवासी समाज महिला प्रधान है और परिवार की बागडोर आमतौर पर महिलाओं के हाथ में होती है. इस योजना ने हेमंत सोरेन को आदिवासी महिलाओं के बीच मजबूत समर्थन दिलाया है. हालांकि, हेमंत सोरेन का ‘विक्टिम कार्ड’ भाजपा के खिलाफ है. वे बार-बार यह कहते आए हैं कि उन्हें बेवजह पांच महीने तक जेल में रखा गया और उनकी सरकार गिराने की साजिश की जाती रही. हालांकि, इस मुद्दे पर जमीनी स्तर पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है. उनकी ‘मनरेगा मजदूरों के लिए सम्मान योजना’ उनके पक्ष में एक बड़ा फायदा साबित हो सकती है.

चंपाई सोरेन: अपमान का ‘विक्टिम कार्ड’ और कोल्हान में प्रभाव

चंपाई सोरेन, जो कि एक आदिवासी नेता हैं और भाजपा में शामिल हो चुके हैं, अपने ‘विक्टिम कार्ड’ के जरिए कोल्हान क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. चंपाई सोरेन का ‘विक्टिम कार्ड’ अपमान से जुड़ा है. उन्होंने बिना नाम लिए हेमंत सोरेन पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाना अनुचित था. चंपाई सोरेन का आदिवासी समाज में गहरा प्रभाव है, खासकर कोल्हान क्षेत्र में जहां उनकी सभाओं में बड़ी संख्या में लोग शामिल हो रहे हैं. एनडीटीवी.कॉम की टीम ने चंपाई सोरेन के पैतृक गांव जिलिंगगोड़ा का दौरा किया, जहां लोगों ने हेमंत और चंपाई, दोनों के ‘विक्टिम कार्ड’ पर चर्चा की. कुछ लोगों का मानना था कि चंपाई को मुख्यमंत्री पद से हटाना गलत था। वहीं, कुछ का कहना था कि चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद पर हेमंत सोरेन ने ही बिठाया था. ऐसे में जनता का रुख अभी तक साफ नहीं है कि वे किसके साथ हैं.

कोल्हान में चंपाई का प्रभाव और भाजपा की रणनीति

चंपाई सोरेन कोल्हान की तीन से चार सीटों पर प्रभाव डाल सकते हैं, साथ ही संथाल में भी वे सत्ताधारी दलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यही वजह है कि झामुमो उन पर सीधे हमले से बच रहा है. भाजपा ने उन्हें सरायकेला सीट को सुरक्षित रखने का भरोसा दिया है, लेकिन अन्य सीटों पर उनके प्रभाव को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है. भाजपा, जो आदिवासी समाज में अलग-थलग पड़ चुकी थी, अब चंपाई सोरेन को तुरुप के पत्ते के रूप में देख रही है.

हेमंत और चंपाई के ‘विक्टिम कार्ड’ का मुकाबला

वरिष्ठ पत्रकार ओम प्रकाश अश्क का कहना है कि हेमंत और चंपाई सोरेन, दोनों के पास ‘विक्टिम कार्ड’ है, लेकिन उनके कार्ड में बुनियादी फर्क है. हेमंत सोरेन का ‘विक्टिम कार्ड’ भाजपा की कथित साजिशों के खिलाफ है, जबकि चंपाई सोरेन का कार्ड अपमान और आदिवासी समाज की उपेक्षा से जुड़ा है. हेमंत सोरेन को जहां मंईयां सम्मान योजना से आदिवासी महिलाओं का समर्थन मिल रहा है, वहीं चंपाई सोरेन कोल्हान में सभाओं के जरिए अपने प्रभाव को मजबूत कर रहे हैं.

जनता के मूड का आकलन और संभावित परिणाम

झारखंड के इस विधानसभा चुनाव में जनता का मूड स्पष्ट नहीं है. हेमंत सोरेन की योजनाओं को जहां समर्थन मिल रहा है, वहीं चंपाई सोरेन की सभाओं में भी भीड़ उमड़ रही है. एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन के बीच मुकाबला काफी दिलचस्प है, और जनता किसे अपना समर्थन देगी, यह चुनाव के दिन ही साफ हो पाएगा. कोल्हान क्षेत्र में चंपाई सोरेन का प्रभाव दिख रहा है, जबकि हेमंत सोरेन की योजनाओं का लाभ आदिवासी महिलाओं के बीच है. भाजपा में शामिल होकर चंपाई सोरेन ने अपनी सीट को सुरक्षित कर लिया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में उनका प्रभाव कितना है, यह चुनावी नतीजे ही बताएंगे.

चुनावी माहौल और संभावित भविष्य

इस बार झारखंड विधानसभा चुनाव के माहौल में एक बड़ा बदलाव देखा जा रहा है. एनडीए और ‘इंडिया’ गठबंधन दोनों ही जनता के समर्थन के लिए अपनी-अपनी रणनीतियों पर काम कर रहे हैं. हेमंत सोरेन और चंपाई सोरेन, दोनों ही आदिवासी समाज के नेताओं के रूप में खुद को स्थापित कर चुके हैं, लेकिन उनके ‘विक्टिम कार्ड’ का कितना असर होगा, यह आने वाले चुनाव परिणाम ही बताएंगे.

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